टाइप 1 डायबिटीज का उचित प्रबंधन जरूरी, प्रशिक्षण कार्यक्रम में दी जानकारी

जबलपुर। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM), मध्यप्रदेश के गैर-संचारी रोग (NCD) विभाग द्वारा 4 और 5 जून को विलियम जे क्लिंटन फाउंडेशन संस्था की सहायता से जबलपुर स्थित होटल कलचुरी रेजीडेंसी में टाइप 1 डायबिटीज़ (T1D) पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में भोपाल और जबलपुर संभाग के 12 ज़िला अस्पतालों से आए शिशु रोग विशेषज्ञों, एमडी मेडिसिन एवं चिकित्सा अधिकारियों ने भाग लिया। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य ज़िला स्तर पर कार्यरत चिकित्सकों की विशेषज्ञता को सुदृढ़ करना था, ताकि टाइप 1 डायबिटीज़ से प्रभावित व्यक्तियों को समय पर और उपयुक्त उपचार मिल सके।
ये है टाइप 1 डायबिटीज
टाइप 1 डायबिटीज़ एक ऑटोइम्यून स्थिति है जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली पैंक्रियाज़ की इंसुलिन उत्पादक कोशिकाओं को नष्ट कर देती है। जिससे शरीर में इंसुलिन का उत्पादन रुक जाता है। इस स्थिति से प्रभावित लोगों को जीवन भर इंसुलिन थेरेपी और ब्लड ग्लूकोज की नियमित निगरानी की आवश्यकता होती है।
बिना समुचित देखभाल के, टाइप 1 डायबिटीज़ से रेटिनोपैथी (रेटिना में नुकसान के कारण अंधापन), नेफ्रोपैथी (किडनी को नुकसान पहुंचाने वाली बीमारियां), और न्यूरोपैथी (तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याएं) जैसी गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं। समय पर निदान, उपचार की शुरुआत और सतत ग्लूकोज निगरानी के माध्यम से प्रभावित व्यक्ति एक स्वस्थ और उत्पादक जीवन जी सकते हैं।
ये है उद्देश्य
प्रशिक्षण सत्र के दौरान जबलपुर संभाग के क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ संजय मिश्रा ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा- “मध्यप्रदेश सरकार टाइप 1 डायबिटीज़ से प्रभावित लोगों के लिए सुलभ, गुणवत्तापूर्ण और निरंतर देखभाल सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। टाइप 1 डायबिटीज़ एक ऐसी स्थिति है जिसमें प्रभावित व्यक्ति को जीवन भर निरंतर देखभाल, नियमित निगरानी और विशेषज्ञ परामर्श की आवश्यकता होती है। इस प्रशिक्षण सत्र के माध्यम से हम एक और महत्वपूर्ण पहल कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य सभी स्तरों पर टाइप 1 डायबिटीज़ प्रबंधन की गुणवत्ता को सुदृढ़ करना है। यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि कोई भी टाइप 1 डायबिटीज़ से प्रभावित व्यक्ति देरी या जानकारी के अभाव में आवश्यक देखभाल से वंचित न रह जाए।” उन्होंने सेवा प्रदायगी को सशक्त बनाने हेतु इस प्रकार के प्रशिक्षणों की निरंतर आवश्यकता पर भी बल दिया।
विशेषज्ञों ने दी जानकारी
प्रशिक्षण सत्रों का संचालन डॉ. महेश महेश्वरी, ऐम्स भोपाल, डॉ. मुहम्मद सलीक़, ऐम्स भोपाल, डॉ. वैष्णवी अग्रवाल, ऐम्स भोपाल, डॉ. शिप्रा मंडराहा, गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल, डॉ. प्रियंका श्रीवास्तव, एल.एन. मेडिकल कॉलेज, भोपाल द्वारा किया गया। विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को टाइप 1 डायबिटीज़ की पहचान, उपयुक्त इंसुलिन थेरेपी, ग्लूकोज मॉनिटरिंग, पोषण प्रबंधन, और दीर्घकालिक जटिलताओं से बचाव जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर प्रशिक्षित किया गया। वर्कशॉप में एनसीडी नोडल अधिकारी डॉ सारिका दुबे, जिला मीडिया अधिकारी अजय कुरील उपस्थित हुए।

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