महालक्ष्मी आराधना में भव्य पूजन और महाभोग अर्पित

जबलपुर। महाराष्ट्रीयन परिवारों में महागौरी महालक्ष्मी पूजन अर्चन का तीन दिवसीय महोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। द्वितीय दिवस पर मां महालक्ष्मी को महाभोग अर्पित किया गया। इस अवसर पर 16-16 प्रकार की सब्जियां, पकवान, मिठाइयां, पूरन पोली, पुड़ी-कचौड़ी, गुजिया, लड्डू, पपड़ी, अनरसा सहित दूध-दही से बने व्यंजन अर्पित किए गए। इसके साथ ही पंचामृत, पान का बीड़ा और 16 दीपों से विशेष आरती संपन्न हुई।

ज्येष्ठा गौरी पूजन की परंपरा

तीन दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में अनुराधा नक्षत्र में आगमन, ज्येष्ठा नक्षत्र में पूजन और मूल नक्षत्र में विसर्जन की परंपरा है। इस वर्ष 31 अगस्त को मां महालक्ष्मी का आगमन एवं आवाहन होगा। 1 सितंबर को मुख्य पूजन और भोग अर्पित किया जाएगा, वहीं 2 सितंबर को माता का विसर्जन किया जाएगा। परंपरा के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष में प्रतिमा स्थापित कर विशेष पूजन और महानैवेद्य अर्पित किया जाता है।

तीन दिन का उत्सव और 16 दिन का व्रत

पहले दिन मां का आवाहन एवं स्थापना की जाती है। दूसरे दिन महाभोग लगाकर उत्सव मनाया जाता है। तीसरे दिन माता का विसर्जन होता है। वहीं कुछ परिवारों में यह व्रत लगातार 16 दिनों तक चलता है। इस बार यह 31 अगस्त से 14 सितंबर तक मनाया जाएगा।

ज्येष्ठा गौरी पूजन का शुभ मुहूर्त

– ज्येष्ठा गौरी आवाहन: 31 अगस्त 2025, संध्या 4:30 बजे
– ज्येष्ठा गौरी पूजन: 1 सितंबर 2025, सुबह 11:00 बजे
– ज्येष्ठा गौरी विसर्जन: 2 सितंबर 2025, रात्रि 8:30 बजे

महालक्ष्मी स्थापना और कथा

हिंदू परंपरा के अनुसार 8 लक्ष्मियां मानी गई हैं जिनमें आदिलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी और धनलक्ष्मी शामिल हैं। गणेशजी की स्थापना के तीसरे दिन ज्येष्ठा गौरी की स्थापना की जाती है। इन्हें नई साड़ी, गहनों और श्रृंगार सामग्री से सजाया जाता है।. परंपरा के अनुसार पहले दिन ज्वार की रोटी और आमड़ी की भाजी, दूसरे दिन 16 प्रकार के पकवान और तीसरे दिन हल्का भोजन जैसे दूध-चावल, खीर आदि भोग अर्पित किए जाते हैं। पुरातन कथा के अनुसार मां को 16 प्रकार के व्यंजन अर्पित करने की परंपरा इसी प्रसंग से जुड़ी है।

श्रद्धालुओं का स्वागत और प्रसाद

पूजन के दौरान अध्दा झारा, दूर्वा, कैना के 16 पत्रों से अर्पण किया जाता है। गुलाब, चंपा, चमेली, निशिगंधा, मोगरा और कमल पुष्प अर्पित किए जाते हैं। प्रसाद स्वरूप लड्डू, गुजिया, पपड़ी वितरित किए गए। सुहागिन महिलाओं को चूड़ियां, बिंदी, श्रृंगार सामग्री और हल्दी-कुंकुम दिया गया।

जबलपुर की संस्कारधानी में कई परिवार इस परंपरा को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ निभा रहे हैं। यादव कॉलोनी निवासी प्रेरणा पोहरकर ने बताया कि पकवान पूरी स्वच्छता से बनाए जाते हैं। वहीं शास्त्री नगर निवासी प्राजक्ता विप्रदास ने कहा कि हर सुहागिन महिला का पारंपरिक पद्धति से स्वागत किया जाता है।

रिपोर्ट: विध्येश भापकर

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