गुरु पूर्णिमा 2025: गुरु के बिना किसी उपासना में प्रवेश नहीं किया जा सकता- ब्रह्मचारी चैतन्‍यानंद जी

हमारी सनातन वैदिक परंपराओं में गुरु का विशेष महत्व है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि बिना गुरु के किसी भी उपासना में प्रवेश नहीं किया जा सकता। गुरु के मार्गदर्शन से ही सारी उपासना पूर्ण होती है। गुरु वह होता है जो हमारे जीवन के अंधकार को समाप्त करता है और प्रकाश प्रदान करता है। हमारे यहां गुरु परंपराओं का प्रचलन प्रारंभ से ही रहा है। नारायण और शंकराचार्य से लेकर वर्तमान आचार्यों तक यह परंपरा अनवरत चली आ रही है। प्रत्येक व्यक्ति को गुरु मंत्र अवश्य ग्रहण करना चाहिए ताकि उसका जीवन अलौकिक और पारलौकिक कल्याण के मार्ग पर अग्रसर हो सके।

जबलपुर के सिविक सेंटर स्थित बगलामुखी शक्तिपीठ शंकराचार्य मठ में पूजन करते ब्रह्मचारी जी।

गुरु पूर्णिमा का महत्व

इसीलिए गुरु पूर्णिमा महोत्सव मनाया जाता है। इस दिन शिष्य अपने गुरु की पूजा करके अपने अज्ञान का नाश करता है। लौकिक और पारलौकिक कल्याण के लिए यह गुरु पूजन और गुरु ग्रहण की परंपरा अत्यंत आवश्यक मानी गई है। विद्या बिना गुरु के प्राप्त नहीं की जा सकती। चाहे वह लौकिक ज्ञान हो या अध्यात्मिक ज्ञान – हर क्षेत्र में गुरु की आवश्यकता होती है। ज्ञान का कोई भी क्षेत्र बिना गुरु के संभव नहीं है।

युवा पीढ़ी के लिए संदेश

वर्तमान में युवा पीढ़ी को भी गुरु परंपराओं से जुड़ना चाहिए। इससे उनका भी कल्याण होगा और धर्म का सही ज्ञान प्राप्त होगा। माता-पिता और गुरु के प्रति कैसा भाव रखना चाहिए, यह सब गुरु परंपरा से ही सीखा जाता है। आजकल यह प्रचलित हो गया है कि बिना गुरु के भी जीवन चला लिया जाए, लेकिन यह दृष्टिकोण गलत है। हमारे यहां प्राथमिक कक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक गुरु के माध्यम से ही शिक्षा प्राप्त होती है। इसी तरह अध्यात्मिक शिक्षा भी केवल अध्यात्मिक गुरु से ही मिल सकती है।

गुरु मंत्र जप का महत्व

इसलिए सभी लोग – चाहे युवा हों या वृद्ध – सभी को गुरु मंत्र ग्रहण करके उसका नियमित जप करना चाहिए। गुरु मंत्र के जप से हमारा अंत:करण शुद्ध और पवित्र होता है। इससे ईश्वर की भक्ति का संचार होता है और हमारा मुख्य लक्ष्य, ईश्वर तत्व की प्राप्ति संभव होती है। अंततः यही साधना व्यक्ति को मोक्ष प्रदान कर सकती है।

(जैसा कि ब्रह्मचारी चैतन्‍यानंद जी ने राष्‍ट्र दृष्टि न्‍यूज से चर्चा में बताया)

श्री बगलामुखी सिद्ध पीठ शंकराचार्य मठ सिविक सेंटर मढ़ाताल में गुरुवार को श्रीमद्भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ के समापन दिवस पर एवं गुरु पूर्णिमा महापर्व के पावन अवसर पर प्रातः स्मरणीय अनन्त श्री विभूषित उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर पश्चिमाम्नाय द्वारकाशारदापीठाधीश्वर धर्म सम्राट जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामीश्री स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज श्री का पादुका पूजन प्रातः 11 बजे ब्रह्मचारी श्री चैतन्यानंद जी महाराज श्री के सानिध्य में किया जाएगा। उसके उपरान्त व्यास पूजन, तुलसी पत्र से सहस्त्रार्चन, गीता पाठ एवं प्रसाद वितरण किया जाएगा।

Back to top button