
रवीन्द्र सुहाने
उज्जैन के प्रतिष्ठित संत और वर्तमान महामंडलेश्वर 1008 स्वामी भागवतानंद गिरि जी महाराज का जन्म मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के ग्राम मगरखेड़ा करंजखेड़ा में 1963 में शरद पूर्णिमा के दिन ब्रह्ममुहूर्त में हुआ था। बाल्यकाल से ही उनका झुकाव धर्म और अध्यात्म की ओर रहा। वे जब पांचवी कक्षा में थे, तभी रामायण पठन प्रतियोगिता में जिले में प्रथम स्थान प्राप्त कर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया।

हायर सेकेंडरी तक शिक्षा पूरी करने के बाद स्वामी जी ने उज्जैन को अपनी कर्मभूमि बनाया। परिवारजन उनकी बचपन से धर्म-प्रधान प्रवृत्ति को देखकर यह समझते थे कि वे साधु बन जाएंगे। इसी कारण दादा खुशीलाल जी ने उन्हें विवाह बंधन में बांध दिया। ‘होइहि सोइ जो राम रचि राखा’ के अनुसार उनका गृहस्थ जीवन भी संतुलित रहा और उनके दो पुत्र एवं एक पुत्री का जन्म हुआ।

सन 1992 में उन्होंने नाम दीक्षा ली और श्रीरामकथा का अध्ययन आरंभ किया। इसके उपरांत वे पिछले 30 वर्षों से देश-विदेश में श्रीरामकथा का गायन कर रहे हैं। अभी तक वे लगभग 700 बार कथा का वाचन कर चुके हैं। उनके प्रवचनों में भक्ति, सेवा और धर्म के प्रचार का गहरा संदेश मिलता है।

सामाजिक और धार्मिक क्षेत्र में भी स्वामी जी ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वे गौरक्षा महा अभियान समिति के प्रदेश महामंत्री (लगभग 10 वर्षों तक) रहे। साथ ही, अखिल भारतीय संत समिति के घटक दल धर्म समाज के प्रांतीय संयोजक के रूप में भी सेवाएं दीं। उनके द्वारा किए गए धर्म प्रचार और सेवाभाव को देखते हुए श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े ने उन्हें जुलाई 2024 में संन्यास उपरांत महामंडलेश्वर की उपाधि से अलंकृत किया।
स्वामी जी ने उज्जैन में चिंतामन गणेश मंदिर मार्ग पर अपना आश्रम स्थापित किया है। यहां गुरुकुल का संचालन होता है और भक्तों के लिए नियमित सेवा-भंडारा आयोजित किया जाता है। वर्तमान में आश्रम पर खाटू श्याम बाबा का मंदिर, 32 कमरे विस्तृत गुरुकुल का निर्माण कार्य भी चल रहा है।
स्वामी जी का यह प्रयास उज्जैन को धर्म और शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र बनाने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।हमारे गुरुदेव की विशेष कृपा हमे अधिक कृतार्थ इसलिए भी करती हे की वे भगवान महाकाल की नगरी के गुरु हे भगवान महादेव को रामचरित मानस में त्रिभुवन का गुरु कहा गया हे “तुम त्रिभुवन गुरु वेद बखाना “श्री गुरु देव को गुरु पूजन दिवस पर सादर समर्पित l
देशभर में अनुयायी
पूज्य गुरुदेव के देशभर में अनुयायी हैं। प्रमुख रूप से इनकी कथाएं मध्य प्रदेश, राजस्थान और नईदिल्ली में होती हैं। इन प्रदेशों में गुरुजी के अनुयासियों की संख्या हजारों में है। इसके अलावा अन्य प्रदेशों में भी इनके अनुयायी हैं, जो गुरुपूर्णिमा पर गुरु पूजन करने उज्जैन आश्रम पहुंचते हैं।
गुरु पूर्णिमा एवं प्रथम संन्यास जयंती महोत्सव का आयोजन
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर 10 जुलाई 2025, गुरुवार को उज्जैन में गुरु पूर्णिमा एवं प्रथम संन्यास जयंती महोत्सव का भव्य आयोजन किया जाएगा। यह कार्यक्रम श्री श्याम बालाजी धाम आश्रम, चिंतामण गणेश मंदिर मार्ग पर आयोजित होगा।
कार्यक्रम प्रातः 7 बजे से प्रारंभ होगा, जिसमें दोपहर 12 से 2 बजे तक रुद्र अभिषेक हवन संपन्न होगा। इसके बाद पूज्य गुरुदेव श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर स्वामी भागवतानंद गिरि जी महाराज का आशीर्वचन और भंडारा प्रसादी का आयोजन होगा।
आयोजन की जिम्मेदारी भगवान शरण जनकल्याण सेवा समिति, उज्जैन ने ली है, जबकि व्यवस्थापक के रूप में हिरदेश गुरु व्यवस्था संभालेंगे। आयोजन समिति ने अधिक से अधिक भक्तों से उपस्थित होकर गुरुपूजन, भंडारा और आश्रम निर्माण में सहयोग का आह्वान किया है।