
जबलपुर। पवित्र श्रावण मास में शिवार्चन करते-करते एक सूत्र और सीखने योग्य है। भगवान महादेव की गृहस्थी के दर्शन करते हुए विचार करें कि कितने विरोधाभासी लोग भी बड़ी शांति से इस परिवार में रहते हैं। सबकी प्रकृति अलग-अलग है फिर भी सब शांति से रहते हैं।

माँ पार्वती का वाहन शेर है और शिवजी का नंदी है। वृषभ शेर का भोजन है, लेकिन यहाँ कोई वैर नहीं है।
कार्तिकेय जी का वाहन मोर है और शिवजी के गले में सर्पों की माला है। मोर और सर्प भी जन्मजात शत्रु हैं, लेकिन यहाँ ये प्रेमपूर्वक एक साथ ही रहते हैं।
गणेश जी का वाहन चूहा है और चूहा भी सर्प का भोजन है। इस परिवार में सब शांति, सद्भाव और निर्वैर जीवन जीते हैं।
वैचारिक भिन्नता के कारण सम्भव है आपकी घर में किसी से न बने। घर में मतभेद हो जाएं कोई बात नहीं, मनभेद नहीं होना चाहिए। सबसे प्रेमपूर्ण व्यवहार करना सीखें, हमारा घर भी शिवालय बन सकता है।
उक्त उद्गार पावन श्रावण मास में नरसिंह मंदिर में श्रीमद् जगतगुरु नृसिंह पीठाधीश्वर डॉ. स्वामी नरसिंहदेवाचार्य जी महाराज ने नर्मदेश्वर महादेव के रूद्राभिषेक, षोडशोपचार पूजन अर्चन आरती में कहे।
पूजन अर्चन आरती में उपस्थिति
- आचार्य रामफल शास्त्री
- कामता गौतम
- प्रतिभा विध्येश भापकर
- संतोष दुबे
- अभिषेक उपाध्याय
- लालमणि मिश्रा
- रामजी पुजारी
- ब्रह्मचारी हिमांशु
- प्रियांशु सहित भक्त जन
नरसिंह मंदिर में प्रतिदिन परम पूज्य महाराज जी के सानिध्य में प्रातः काल 10 बजे से महारुद्राभिषेक पूजन आयोजित किया गया है।