
जबलपुर। महज 20 रुपये फीस लेकर इलाज करने वाले गरीबों के मसीहा डॉ. एमसी डावर का शुक्रवार की सुबह 9 बजे निधन हो गया। वे 79 वर्ष के थे। डॉ. डावर के निधन से चिकित्साजगत के साथ ही आम लोग भी दुख में डूब गए हैं। वे गरीब मरीजों के भगवान थे। मरीज जब उनके क्लीनिक पर पहुंचता था तो खुद को स्वस्थ महसूस करने लगता था। क्योंकि उनका हर मरीज के प्रति आत्मीय व्यवहार था।

उन्होंने महज 2 रुपये से प्रेक्टिस शुरू की थी। बाद में मरीजों के आग्रह पर ही उन्होंने 1986 में 3 रुपए फीस की फिर 1997 में 5 रुपये 2012 में 10 रुपये फिर 2021 में 20 रुपये फीस की। उनके बेटे डॉ ऋषि डावर छाती रोग विशेषज्ञ हैं।
सेना में डॉक्टर थे
डॉ. डावर का जन्म 1946 में आज के पाकिस्तान में हुआ था। उनकी स्कूल की पढ़ाई जालंधर में हुई। बाद में उन्होंने नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। उन्होंने सेना में अपनी सेवाएं दीं। 1971 की जंग के दौरान उन्होंने घायल सैनिकों का इलाज किया।
जंग खत्म होने के बाद उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से खुद ही रिटायरमेंट ले लिया और 1972 से जबलपुर में प्रेक्टिस शुरू की। उस वक्त वे महज 2 रुपए फीस लेते थे। फिर मरीजों के आग्रह पर ही उन्होंने फीस बढ़ाई लेकिन आज के वक्त तक महज 20 रुपए लेते रहे।

डॉ डावर को तकलीफ होती तो मरीज प्रार्थना करते
डॉ डावर मरीजों के लिए भगवान से कम नहीं थे। उन्हें सेहत संबंधी कोई तकलीफ होती तो मरीज उनके लिए मंदिरों में जाकर उनकी बेहतर सेहत के लिए प्रार्थना करते थे।
पद्मश्री से सम्मानित
डॉ. मुनीश्वरचंद्र डावर को 26 जनवरी 2023 को पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

सीएम ने शोक व्यक्त किया
सीएम डॉ मोहन यादव ने पद्मश्री डॉ एम सी डावर के निधन पर शोक व्यक्त किया। सीएम ने X पर पोस्ट में कहा कि डॉ डावर के निधन का समाचर दुखद है। यह जबलपुर ही नहीं सम्पूर्ण प्रदेश के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर उनकी पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करें।
सीएम ने डॉ एम सी डावर से जबलपुर में एक मुलाकात की भी फोटो X पर शेयर करते हुए लिखा है कि विगत दिनों आपसे हुई भेंट ने मुझे जनसेवा के प्रति आपके समर्पण से मुझे प्रेरणा मिली थी।