
गोचारण के माध्यम से भगवान ने ब्रह्मा का मान मर्दन किया। कालिया नाग लीला के माध्यम से विषाक्त यमुना मैया को प्रदूषण मुक्त बनाया। भगवान् ने अपनी लीलाओं में समस्त राक्षसों का संहार किया परन्तु कालिय नाग को नहीं मारा, क्योंकि कालिय नाग इंद्रियों का प्रतीक है और इंद्रियों का निग्रह होना चाहिए।
राष्ट्र में शास्त्र विरुद्ध परम्परा को बंद कराकर भगवान् ने शास्त्र सम्मत परम्परा के अनुसार गिरिराज गोवर्धन जी के पूजन को प्रारंभ कराया और इस लीला के माध्यम से इंद्र का मान मर्दन किया। जीव और ब्रह्म के बीच में जो माया रुपी आवरण है, भगवान् ने चीरहरण लीला के माध्यम से गोपियों के कात्यायनी व्रत की पूर्णता तथा वेणु नाद के माध्यम से गोपियों को रास की पात्रता प्रदान की।
व्यास पीठ का पूजन आचार्य राजेंद्र प्रसाद शास्त्री, विनोद गोटिया, अजय त्रिपाठी, संजय गुरु, बीके नीता पटेल, अमित प्रतीक्षा सिंह, माया मोतीलाल यादव, उर्मिला पांडे, विजय ऊषा कटारिया, शंकरलाल खत्री, शमन आश्वानी, अन्नपूर्णा नायकार, सपना यादव, मनोज सेन आदि ने किया।