
जबलपुर। गुरु पूर्णिमा महोत्सव के अवसर पर श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह के छठवें दिन बगलामुखी सिद्धपीठ शंकराचार्य मठ, सिविक सेंटर, मढ़ाताल में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में पूज्य ब्रह्मचारी चैतन्यानंद जी ने चीरहरण की गूढ़ व्याख्या प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि जब तक जीव के ऊपर माया रूपी आवरण रहता है, वह भगवान की लीला में प्रवेश नहीं कर सकता। भगवान ने माया रूपी आवरण का हरण कर जीव रूपी गोपियों को अपनी रासलीला में प्रवेश करने की पात्रता दी। रासलीला काम विजय लीला है, जिसमें काम का दमन और विजय का संदेश मिलता है। भगवान श्रीकृष्ण की वंशी भगवान शिव बने।
उन्होंने कहा कि अहंकार का अंत ही कंस वध है। गोपियों का सर्वस्व भगवान श्रीकृष्ण हैं। उन्होंने सत्संग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रुक्मिणी जी ने सत्संग में भगवान की कथा सुनकर उनसे विवाह करने का निश्चय किया। यह उनके माता-पिता द्वारा दिए गए श्रेष्ठ संस्कारों का ही परिणाम है। भगवान के प्रति जैसा भाव होगा, भगवान उसकी पूर्ति कर फलश्रुति प्रदान करते हैं।

आज व्यासपीठ का विधिवत पूजन किया गया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से राजेंद्र शास्त्री, बरगी विधायक नीरज सिंह, समर्थ सेठ, घनश्याम मिश्रा, दीप्ति मनीष पांडे, राजेंद्र ममता मिश्रा, अर्पिता खरे, संतोष यादव, महेश पुरुस्वानी, विवेक गुप्ता, ऋषि अग्रवाल, शिवम, अपूर्वा चतुर्वेदी, वसुंधरा पांडे, राजेश राधा शुक्ला, उर्मिला पांडे, आयुष गुप्ता, भावेश सिंह, रामनाथ सेन, सुबोध पहाड़िया, विवेक सुहाने, मनोज सेन आदि उपस्थित रहे।