श्रद्धालुओं द्वारा जल ज्योति की पूजा, पंजड़ा भक्ति गीत गूंजे

जबलपुर। सिर पर भगवान झूलेलाल की बहराणा दीप, अक्षत, सिन्दूर से सजी थालियां रखकर आज सैकड़ों सिन्धी धर्मावलंबियों ने सिन्धी समाज के आस्था के महापर्व ”चालीस व्रत महोत्सव मेला“ में हिस्सा लिया। पारम्परिक पंजड़ा भक्ति गीतों पर झूमते-नाचते महिला-पुरुष, बालक-बालिकाएं अपने ईष्ट से चालीसवें को मना रहे हैं। परिसर में पारम्परिक मंदिर में बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए। पूजन की भव्यता प्रदान करने के लिए पंजड़ा भक्ति गीतों का आयोजन किया गया।

भगवान झूलेलाल जी का दुग्धाभिषेक
मंदिर में भगवान श्री झूलेलाल जी का दुग्ध अभिषेक स्वामी अशोकानंद जी महाराज और स्वामी प्रदीप महाराज द्वारा मंत्रोच्चार के साथ किया गया। सिन्धी समाज का अपार जनसमूह पूजन-अर्चन हेतु उमड़ पड़ा। इस मौके पर सिन्धी समाज की युवा पीढ़ी ने चाचर नृत्य की भव्य प्रस्तुति दी।

जल देवता के रूप में पूजनीय हैं झूलेलाल जी
इस अवसर पर आयोजित धर्मसभा में स्वामी अशोकानंद (भक्तिधाम) ने कहा कि भगवान झूलेलाल को वेदों में उल्लेखित जल देवता ”वरूण देवता“ का अवतार माना गया है। उन्होंने कहा कि वस्तुतः वरूण देवता सिन्धुजनों के आराध्य देव हैं।

स्वामी प्रदीप महाराज ने कहा कि ”उडेरोलाल“ का उडेरो शब्द इन्डो अर्थात् उडियर से निकला है, जिसका अर्थ है जल। ऋग्वेद में ‘उद्’ शब्द का उल्लेख मिलता है, जिसे जल का पर्याय माना गया है। सिन्धुजनों ने आदिकाल से ही वरूण देवता (जल पूजा) को अत्यंत महत्व दिया है।

जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों की उपस्थिति
इस आयोजन में विधायक श्री अशोक रोहाणी, मोतीलाल पारवानी, उद्धवदास पारवानी, दिलीप तलरेजा, रमेश आहूजा, लख्मीचंद खेमानी, अमित रावलानी, गोविन्द हीरानी, प्रकाश आहूजा, प्रकाश आसवानी, राजा सावलानी, राजकुमार कंधारी, कमलेश वासवानी, उमेश बुधरानी, विजय पंजवानी, कैलाश वासवानी, बिल्लू हीरानी, कीर्ति छत्तानी, गोपीचन्द्र खत्री सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित रहे।

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