कांग्रेस से टिकट, बीजेपी में छलांग, टिकट देने वाले अनजान! अब क्या होगा निदान

राजीव उपाध्याय

जबलपुर। कांग्रेस को घात औरों से नहीं अपनों से मिली है। जिम्मेदार भी और कोई नहीं वे बड़े नेता हैं जिन्होंने उनका आकलन नहीं किया जिन्हें अपना समझते थे। कांग्रेस से बीजेपी में जाने का पिछले चुनाव में एक अभियान जैसा ही चला था। ऐसा प्रतीत होता था जैसे वेकेंसी निकली हों लेकिन गए तो जोरदार तरीके से स्वागत माला पहनने के बाद उन्हें कभी मंच नसीब नहीं हुआ। कुछ तो ऐसे भी थे जो बीजेपी से इतना प्रेम कर बैठे कि ट्विटर हैंडल से कांग्रेस को हटा दिया, बाद में बीजेपी ने ऐसा सिला दिया कि सब कुछ गंवा बैठे। राहुल गांधी के संगठन सृजन में ऐसे नेताओं पर भी नजर रखी जा रही है जिनका कांग्रेस में तन और बीजेपी में मन है।

कहां हैं बड़े नेता

पिछले चुनाव के वक्त प्रदेश के एक बड़े नेता ने बीजेपी जॉइन की थी। जब तक वे कांग्रेस में थे उनकी बहुत आवभगत होती थी, सम्मान मिलता था। उनको प्रदेश में बड़ा पद भी मिला था लेकिन अचानक बीजेपी प्रेम उनमें जाग गया और बरसों की बनाई अपनी छवि को एक पल में बदलकर वे बीजेपी के मंच पर पहुंच गए और स्वागत माला पहन ली। जिस वक्त वे मंच पर थे उनकी बॉडी लेंग्वेज बता रही थी कि वे कुछ खो रहे हैं, जो सम्मान उनको कांग्रेस में मिलता रहा है वह बीजेपी में पहले ही दिन नहीं मिला।

बीजेपी के बड़े नेता मंच पर छाए रहे और वे खुद को अलग-थलग सा महसूस करते रहे। चुनाव के दौरान वे एक विधानसभा क्षेत्र में एक प्लास्टिक की कुर्सी पर बैठे नजर आए। आखिर ऐसी क्या उन्हें तकलीफ हो गई थी कि बीजेपी में उनको और उनके समर्थकों को जाना पड़ा और वहां से मिला क्या। उनके एक समर्थक जबलपुर के हैं जो बीजेपी में उनके साथ चले गए लेकिन ओझल हैं, वे बीजेपी के कार्यक्रम में नहीं आते। जबलपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से एक वरिष्ठ नेता बीजेपी में गए लेकिन जो रुतबा यहां था, वहां नहीं दिख रहा।

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कौन जिम्मेदार

चुनाव के वक्त टिकट वितरण के समय जिनको टिकट कांग्रेस के बड़े नेता दिलाते हैं वे क्या उनके अंदर पनप रहे बीजेपी प्रेम को नहीं जानते थे। जनता जिसे वोट करती है उसमें कैंडिडेट्स की खुद की आईडेंटिटी का प्रतिशत अधिक रहता है, लेकिन पार्टी का भी अपना वजूद है। एक पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी जॉइन करने वाले खुद को पार्टी से ऊपर मान लेते हैं, वह तभी सत्य है जबकि उनका वर्चस्व दूसरी पार्टी भी माने, वरना कुछ चेहरे तो केवल पार्टी तोड़ने के लिए लिये जाते हैं।

घर वापसी, महज मौकापरस्ती

चुनाव के वक्त घर वापसी अभी तक बहुत होती आई है और वापसी के साथ कई बार टिकट भी मिल जाती है। यह मौकापरस्ती की राजनीति है और समर्पित कार्यकर्ताओं के साथ नाइंसाफी है।

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संगठन सृजन में क्या कुछ बदलेगा

सांसद राहुल गांधी के संगठन सृजन अभियान में समर्पित कार्यकर्ताओं के लिए जगह होगी, ऐसा प्लान में है। यदि कोई डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट को ओवरलैप करेगा तो उसकी जगह कांग्रेस में नहीं होगी, ऐसा राहुल गांधी ने भोपाल में कहा था। कांग्रेस में रहकर बीजेपी के लिए काम करने वालों को साइड लाइन करने का प्लान है लेकिन यह हकीकत में तभी संभव होगा जब तथाकथित कुछ नेता इसे इंप्लीमेंट होने देंगे।

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