
जबलपुर। आज संस्कारधानी वासियों के लिए एक दिव्य और आध्यात्मिक अनुभव का दिन रहा। स्वयंभू भगवान गुप्तेश्वर महादेव जी की शाही सवारी मुकुंद दास जी महाराज के सानिध्य में नगर भ्रमण पर निकली। महापौर जगत बहादुर सिंह ‘‘अन्नू’’ ने पूजन-अर्चन कर शाही सवारी में शामिल सभी श्रद्धालुओं का स्वागत वंदन अभिनंदन किया।
नागरिकों की उन्नति की प्रार्थना
महापौर श्री अन्नू ने भगवान गुप्तेश्वर महादेव जी से प्रार्थना की कि संस्कारधानी जबलपुर के समस्त नागरिकों की मनोकामनाएं पूर्ण हों और उनकी उन्नति तीव्रता से आगे बढ़े। उन्होंने कहा कि सभी संस्कारधानीवासी इसी श्रद्धा, उत्साह और भक्ति के साथ अपने जीवन को धन्य करते रहें और भगवान भोलेनाथ के चरणों में श्रद्धा के सुमन अर्पित करते रहें।
समिति और श्रद्धालुओं को दी शुभकामनाएं
महापौर ने आयोजन समिति के सदस्य एवं पूर्व पार्षद पंकज पाण्डेय, द्वारका मिश्रा सहित अन्य सहयोगियों की सराहना करते हुए कहा कि इनके प्रयासों से आस्था और विश्वास की एक मिसाल प्रतिवर्ष प्रस्तुत की जाती है। यह आयोजन न केवल धार्मिक भावना को सशक्त करता है, बल्कि सामाजिक एकता का भी प्रतीक बनता है।
रामेश्वरम के उपलिंग स्वरूप
गुप्तेश्वर महादेव को पौराणिक ग्रंथों में रामेश्वरम के उपलिंग के रूप में मान्यता प्राप्त है। कथा के अनुसार त्रेता युग में भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण के साथ वनवास के दौरान नर्मदा तट पहुंचे थे। यहीं उनकी जाबालि ऋषि से मिलने की इच्छा उन्हें त्रिपुरी तक लाई।
मान्यता है कि नर्मदा तट पर श्रीराम ने अपने आराध्य महादेव का पूजन करने के लिए रेत से शिवलिंग का निर्माण किया। यही शिवलिंग कालांतर में गुप्तेश्वर महादेव के रूप में प्रतिष्ठित हुआ। वर्तमान में मंदिर का पक्का स्वरूप वर्ष 1890 में निर्मित हुआ, लेकिन इसकी आध्यात्मिक जड़ें त्रेता युग में ही जुड़ी मानी जाती हैं।
गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में सावन का यह पावन माह भक्तों के लिए एक ऐसा अवसर लेकर आता है जहां वे केवल पूजा नहीं करते, बल्कि अपने जीवन को भी आध्यात्मिक ऊर्जा और शांति से भरने का संकल्प लेते हैं।