
जबलपुर। रिसर्च स्कॉलर विद्यार्थियों के लिए बनाया गया भवन खंडहर में तब्दील हो गया उसका एक दिन भी उपयोग नहीं हो सका। यह भवन रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के देवेंद्र छात्रावास के नजदीक रिसर्च स्कॉलर छात्रावास का है।
64 लाख की राशि से निर्माण
15 साल पहले इस भवन को बनाया गया। इसे रिसर्च स्कालर विद्यार्थियों के लिए रहने के लिए बनाया गया था। इसे बनाने में करीब 64 लाख रुपये खर्च हुआ। अब यह एक खंडहर में बदल गया है। भवन की दीवारों से प्लास्टर झड़कर गिर रहा है। खिड़की के कांच गायब हैं। मुख्य द्वार पर लगा चैनल गेट पर लगा ताला भी जंग लग चुका है। यह भवन वीरान है। कभी दो-चार बार विश्वविद्यालय के कर्मचारियों की शादी बारात की अगुवाई में इस भवन का इस्तेमाल हुआ है। अभी भी इस भवन को लेकर प्रशासन की कोई भविष्य की योजना नहीं है।
इस भवन की गुणवत्ता को लेकर जांच पड़ताड़ हुई। लंबी जांच हुई। कमेटी ने भी तथ्यों को देखा परखा और क्लीन चिट दे डाली। इतना समय इस प्रक्रिया में लगा कि प्रशासन ने भी भवन को लंबे वक्त तक हाथ लगाना सुरक्षित नहीं समझा लिहाजा भवन समय के साथ बंद रहा और हवा-मिट्टी के झोंकों से इस इमारत की दीवार टकराकर जर्जर होती चली गई। कुछ कर्मचारी नेताओं ने इस इमारत में अपने बच्चों की शादी की बारात को ठहराया उसी वक्त यह भवन उपयोग में आया बाद में दोबारा इस पर ताला लटका दिया गया।
रिसर्च ही बंद तो भवन क्यों- विश्वविद्यालय में लंबे समय से रिसर्च के कार्य भी लगभग न के बराबर है। पीएचडी की प्रवेश परीक्षा अकेले तीन साल बाद हो रही है ऐसे में पीएचडी स्कालर की संख्या भी कम है जो है वो कालेजों में पदस्थ गाइड के आधीन है ऐसे में विश्वविद्यालय में उनकी संख्या बेहद कम है। ऐसे छात्रों के लिए भी विश्वविद्यालय में कोई अलग से भवन की व्यवस्था नहीं की जा रही है।