Jabalpur Railway: ब्रिटिश काल से सैनिकों और हथियारों की आवाजाही में मुख्‍य भूमिका निभाता आ रहा रेलवे

जबलपुर। जबलपुर रेलवे स्‍टेशन प्रदेश ही नहीं बल्कि देश का भी एक प्रमुख रेलवे जंक्‍शन है। ब्रिटिश काल में भी जबलपुर को सैन्‍य नजरिए से अहम माना जाता रहा है। यहीं से सैनिकों और हथियारों की आवाजाही होती थी। रेलवे इस कार्य में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता था। धीरे-धीरे शहर रेलवे नेटवर्क के कारण व्‍यापारिक और औद्योगिक गतिविधियों का केंद्र बनता गया।
जबलपुर रेलवे की नींव ब्रिटिश काल में ही रखी गई थी। 1867 में यहां स्‍टेशन की शुरूआत की गई थी। उस दौर में ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे जीआईपीआर द्वारा जबलपुर को इटारसी और कटनी से जोड़ा गया था। यह रेल मार्ग बाद में उत्तर, पूर्व और दक्षिण भारत को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया।
पश्चिम मध्‍य रेलवे को मुख्‍यालय
जबलपुर रेलवे स्टेशन पश्चिम मध्य रेलवे के अंतर्गत आता है। इसका मुख्यालय भी यहीं स्थित है। यहां से प्रतिदिन सैकड़ों ट्रेनों का संचालन होता है। यह स्टेशन दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद, वाराणसी, नागपुर जैसे प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
सीसीटीवी से निगरानी
पिछले कुछ वर्षों में स्टेशन के आधुनिकीकरण पर विशेष ध्यान दिया गया है। प्लेटफॉर्म्स पर डिजिटल डिस्प्ले, स्वचालित टिकट वेंडिंग मशीनें, एस्केलेटर, लिफ्ट, फ्री वाई-फाई और सीसीटीवी निगरानी जैसे आधुनिक सुविधाएं जोड़ी गई हैं। साफ-सफाई और यात्री सुविधाओं के मानकों के चलते जबलपुर रेलवे स्टेशन को आईएसओ सर्टिफिकेट भी मिल चुका है।
चुनौती: प्‍लेटफार्म और ट्रेफिक मैनेजमेंट में दबाव
विकास के दौर में जबलपुर रेलवे को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। बढ़ती जनसंख्या और ट्रेनों की संख्या के चलते प्लेटफार्म और ट्रैफिक मैनेजमेंट में दबाव है। यात्रियों की शिकायतें ट्रेनों की लेटलतीफी, साफ-सफाई की स्थिति और टिकट उपलब्धता को लेकर सामने आती रहती हैं।
150 वर्ष का सफर
जबलपुर रेलवे स्टेशन ने बीते डेढ़ सौ वर्षों में एक लंबा सफर तय किया है। यह स्टेशन आज आधुनिकता की दिशा में बढ़ रहा है। अगर प्रस्तावित योजनाएं समय पर लागू होती हैं, तो जबलपुर रेलवे न केवल प्रदेश बल्कि देश की सबसे उन्नत रेलवे सुविधाओं में शामिल हो सकता है।

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