
मुंबई। मालेगांव ब्लास्ट मामले में एनआइए की विशेष अदालत ने बड़ा फैसला सुनाते हुए साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने माना कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि बम विस्फोट में प्रयुक्त बाइक साध्वी प्रज्ञा के नाम पर थी या कर्नल (रिटायर्ड) प्रसाद पुरोहित ने बम तैयार किया था। साजिश के ठोस प्रमाण भी पेश नहीं हो सके।
बरी किए गए आरोपी
इस मामले में जिन सात लोगों को बरी किया गया, उनके नाम इस प्रकार हैं- साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल (रिटायर्ड) प्रसाद पुरोहित, रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर धर द्विवेदी, समीर कुलकर्णी और सुधाकर चतुर्वेदी।
कोर्ट ने किन बिंदुओं पर दिया फैसला
एनआइए कोर्ट ने निम्न कारणों को आधार बनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया:
– पंचनामा में त्रुटियां थीं, डंप डेटा उपलब्ध नहीं था।
– विस्फोट स्थल की बैरिकेडिंग नहीं की गई थी।
– साजिश की किसी बैठक का कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया।
– कर्नल पुरोहित के आरडीएक्स लाने और बम बनाने का कोई सबूत नहीं मिला।
– साध्वी प्रज्ञा की बाइक होने के पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिले।
– विस्फोट बाइक में हुआ, इसका कोई प्रमाण नहीं मिला।
– यह साबित नहीं हो सका कि बाइक किसने खड़ी की।
– बम किसने प्लांट किया, इसका भी कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिला।
क्या था मालेगांव ब्लास्ट मामला
29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में बम विस्फोट हुआ था। इस विस्फोट में छह लोगों की मृत्यु हुई थी और 101 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस मामले की प्रारंभिक जांच महाराष्ट्र एटीएस ने की थी, बाद में वर्ष 2011 में यह केस एनआइए को सौंपा गया।
फैसले के बाद आई प्रतिक्रियाएं
फैसले के बाद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने कहा, “यह भगवा और हिंदुत्व की जीत है। यह साबित हो गया कि साजिश के तहत भगवा को बदनाम करने की कोशिश की गई थी।”
वहीं भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हिंदू आतंकवाद का जो जाल कांग्रेस ने देश पर थोपा था, वह पूरी तरह धराशायी हो गया है।”