जीवन में ऊर्जा का सदुपयोग सीखता है धर्म – स्वामी नरसिंह देवाचार्य जी महाराज

नरसिंह मंदिर शास्त्री ब्रिज में श्रावण मास महोत्सव

जबलपुर। जहां शिव हैं, वहां नंदी भी हैं और जहां नंदीश्वर हैं, वहां शिवजी भी हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि जहां धर्म है वहां शिव भी हैं अथवा जहां शिव हैं, वहीं धर्म भी है। शिवजी का वाहन वृषभ है, जिसे धर्म का स्वरूप माना गया है। इसका गहरा अर्थ यह है कि शिवजी स्वयं धर्म की सवारी करते हैं। जीवन के उत्थान और मंगल के लिए धर्म की आवश्यकता सर्वोपरि है।

पशु को लगाम और मनुष्य को धर्म नियंत्रित करता है

स्वामी नरसिंह देवाचार्य जी महाराज ने श्रावण मास के पावन अवसर पर नरसिंह मंदिर शास्त्री ब्रिज में आयोजित श्री नर्मदेश्वर महादेव के रुद्राभिषेक एवं षोडशोपचार पूजन-अर्चन-आरती में उपरोक्त बातें कही। उन्होंने बताया कि जैसे पशु को लगाम से नियंत्रित किया जाता है, वैसे ही मनुष्य को धर्म से संयमित किया जा सकता है। धर्म ही वह सूत्र है जो मानव को ऊर्जा का सही उपयोग करना सिखाता है — कब, कहां और कैसे जीवन शक्ति का प्रयोग करना है।

कर्म में अनासक्ति ही मोक्ष का मार्ग है

ज्ञानी व्यक्ति अनासक्त भाव से कर्म करता है, इसीलिए वह कर्म के बंधन में नहीं फंसता। भगवान भोलेनाथ का जीवन दर्शाता है कि धर्म के अवलंबन से किए गए कर्म ही हमें मोक्ष एवं जीवन की सफलता की ओर ले जाते हैं।

भक्तों की उपस्थिति और आयोजन की भव्यता

इस आयोजन में जगदीश साहू, संदीप मिश्रा, राजेंद्र प्यासी, रामजी पुजारी, सिद्धनारायण शर्मा, गायत्री शर्मा, जेपी मिश्रा, आचार्य रामफल शास्त्री, कामता गौतम, लालमणि मिश्रा, ब्रम्हचारी हिमांशु, प्रियांशु सहित अनेक श्रद्धालुओं की सहभागिता रही।

प्रतिदिन महारुद्राभिषेक पूजन का आयोजन

नरसिंह मंदिर में प्रतिदिन परम पूज्य महाराज जी के सानिध्य में प्रातः 10 बजे से महामृत्युंजय जाप एवं महारुद्राभिषेक का विशेष आयोजन हो रहा है, जिसमें भक्तजन बड़ी श्रद्धा के साथ भाग ले रहे हैं।

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