RDVV Jabalpur: प्रवेश प्रक्रिया शुरू, पोर्टल पर नहीं दिख रहे प्राइवेट कॉलेज

जबलपुर। प्राइवेट कॉलेजों के नाम हायर एजुकेशन के पोर्टल में नहीं होने से कॉलेज प्रशासन ऊहापोह की स्थिति में है। समस्या यह है कि अभी तक यूनिवर्सिटी ने इनको एफिलेटेड ही नहीं किया। जब तक एफिलेशन नहीं करेंगे तब तक पोर्टल में कॉलेजों को शामिल नहीं किया जाएगा जबकि प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो गई है।
प्रवेश प्रक्रिया में प्राइवेट कालेज अब तक इस प्रोसेस से बाहर हैं। एक भी प्राइवेट कालेज का नाम हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट के प्रवेश पोर्टल पर दर्ज नहीं है। सबसे ज्यादा परेशानी बीएड,एमएड काेर्स वाले कालेज को है जिन्हें अभी तक विश्वविद्यालय से संबंद्धता (एफिलेशन)ही जारी नहीं हुआ है क्योंकि यूनिवर्सिटी ने किसी भी कालेज में सत्र 2025-26 में निरीक्षण ही नहीं करवाया है। सोमवार को विश्वविद्यालय ने कालेजों के प्रबंधन को बुलाकर उनसे दस्तावेज और शपथ पत्र लिया। एक-दो दिन में कालेजों को संबद्धता जारी होगी जिसके बाद आनलाइन पोर्टल में इनके नाम शामिल होने की संभावना है। कालेजों को यह डर सता रहा है कि कहीं पहले चरण में उनके प्रवेश की संख्या कम न हो जाए।
विश्वविद्यालय के आइक्यूएसी सेंटर में सुबह से डीसीडीसी प्रो.राकेश बाजपेयी और डीन शिक्षा प्रो.विशाल बन्ने की कमेटी ने कालेजों से दस्तावेजों का परीक्षण किया। कालेज प्रबंधन एनसीटीई और अन्य जरूरी मान्यता संबंधी दस्तावेज लेकर कमेटी के सामने हाजिर हुए। इसके बाद कालेजों से शपथ पत्र मांगा गया। शपथ पत्र में कॉलेजों ने आवश्यक क्वालीफिकेशन की जानकारी दी।
प्रशासन ने कहा कि यह प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर कालेजों के नाम पोर्टल में शामिल करवाने के लिए सहमति पत्र जारी किया जाएगा।
प्राइवेट कॉलेजों में बीएड के 30 और एमएड के करीब 13 कालेज हैं जिन्होंने अपनी जानकारी प्रस्तुत की। बताया जाता है कि यूनिवर्सिटी को निरंतरता की प्रक्रिया को काफी पहले पूर्ण करना था लेकिन ऐसा नहीं हुआ जिसका खामियाजा विश्वविद्यालय से जुड़े कालेज और हजारों विद्यार्थी भुगतने मजबूर होंगे। इसके अलावा ऐसे प्राइवेट कालेज भी परेशान हैं जहां पर बीएड,एमएड का पाठ्यक्रम नहीं है,और वे संचालित हैं। इसके बाद भी उनका नाम प्रवेश के लिए बने पोर्टल् पर नजर नहीं आ रहा है। इसके लिए शासन स्तर पर तकनीकी समस्या बताई जा रही है।

“43 प्राइवेट कालेजों ने आवश्यक दस्तावेज पेश किए हैं, जोकि मांगे गए थे। इनकी जांच की है। इन कॉलेजों में बीएड, एमएड संचालित होता है। इसकी रिपोर्ट विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंपी जाएगी। आगे की कार्रवाही प्रशासन को ही तय करनी है।”
प्रो.राकेश बाजपेयी, डीसीडीसी रादुविवि

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