मप्र के सीधी जिले की सच्चाई: सड़क नहीं तो खाट पर ले जा रहे थे गर्भवती, रास्ते में ही जन्मा बच्चा

सांसद और विधायक के वादों की हकीकत आई सामने

सीधी। जिले के सेमरिया थाना क्षेत्र के बरिगवां नंबर दो गांव में एक बार फिर जनप्रतिनिधियों के वादे खोखले साबित हुए। सड़क न होने के कारण गर्भवती महिला को समय पर अस्पताल पहुंचाना संभव नहीं हो सका, जिससे रास्ते में ही प्रसव हो गया। विदित हो कि सीधी जिले की यूट्यूबर लीला साहू ने गर्भवती महिलाओं के साथ अपने गांव की सड़क बनवाने मोर्चा खोला था, जिसके बाद सांसद और पीडब्‍ल्‍यूडी मंत्री का बयान सामने आया था।

गांव में सड़क न होने से गर्भवती के घर तक एम्‍बुेंस नहीं पहुंच पाई, जिससे परिजन उसे घाट पर अस्‍पताल तक ले गए।

गर्भवती महिला को खाट पर ले जाना पड़ा अस्पताल

गांव की आदिवासी महिला प्रीति रावत को एंबुलेंस गांव तक न पहुंच पाने के कारण खाट पर लिटाकर रस्सियों के सहारे मुख्य सड़क तक लाया गया। यह दर्दनाक सफर तब और भयावह हो गया जब रास्ते में ही महिला ने बच्चे को जन्म दे दिया।

एंबुलेंस खड़ी रही सड़क पर, परिजन ढोते रहे महिला को

गांव से दो किलोमीटर दूर खड़ी एंबुलेंस तक पहुंचाने के लिए परिजनों ने खाट को डोली की तरह उठाया और महिला को जंगलनुमा पगडंडियों से होते हुए अस्पताल की ओर रवाना किया।

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जच्चा-बच्चा की हालत स्थिर, अस्पताल में भर्ती

संकट के बावजूद समय पर पहुंचाए जाने के कारण महिला और नवजात दोनों को सेमरिया अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत अब स्थिर बताई जा रही है।

गांव में अब भी नहीं पक्की सड़क, स्कूल भी नदी के पार

बरिगवां गांव आज भी पक्की सड़क से वंचित है। बरसात में बच्चे स्कूल तक नहीं पहुंच पाते क्योंकि रास्ते में बहती नदी उनकी राह रोक देती है।

CMHO और समाजसेवी ने जताई चिंता

सीएमएचओ डॉ. बबीता खरे ने स्पष्ट किया कि एंबुलेंस समय पर पहुंची थी लेकिन रास्ता नहीं होने से गांव तक नहीं जा सकी। समाजसेवी प्रभात वर्मा ने घटना को शर्मनाक बताया और सरकार की संवेदनहीनता पर सवाल उठाए।

सड़क की पुरानी मांगें, वादे अब भी अधूरे

यह कोई पहला मामला नहीं है। पूर्व में लीला साहू नाम की गर्भवती महिला को लेकर भी इसी क्षेत्र में एक सड़क की मांग उठी थी, जिस पर सांसद राजेश मिश्रा ने हेलीकॉप्टर भेजने तक की बात कही थी। मगर आज भी हकीकत यह है कि ग्रामीण कंधों पर मरीज ढोने को मजबूर हैं।

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