
रवीन्द्र सुहाने
जबलपुर। “End Plastic Pollution” इस बार विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की थीम है। लेकिन दमोह जिले के एक छोटे गांव देवरी के गंगाराम पटेल (जनपद अध्यक्ष, हटा) पिछले 14 साल से प्लास्टिक पॉल्युशन को रोकने अभियान चला रहे हैं। वह स्वयं गांव-गांव जाकर लोगों को सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करने की अपील करते हैंं। साथ ही लोगों को नि:शुल्क कपड़े के थैले भी बांटते हैं। इन्होंने जब इसकी शुरुआत की थी उस समय काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा लेकिन धीरे-धीरे लोग इनसे जुड़ते गए और अब इन्होंने खुद का बर्तन बैंक भी बना लिया है। दमोह में आयोजित कार्यक्रम में श्री पटेल का सम्मान भी किया गया था।
जनपद में नहीं चलती सिंगल यूज पानी की बॉटलें
गंगाराम पटेल पिछले वर्ष दमोह जिला की हटा जनपद के अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे। इसके बाद से इन्होंने जनपद में भी यह अभियान शुरू कर दिया। अब जनपद में सचिव, सरपंचों की बैठक के दौरान सिंगल यूज प्लास्टिक की बॉटलों की जगह कांच के ग्लासों में पानी की सप्लाई होती है। जनपद पंचायत में होने वाले कार्यक्रमों के बाद जनपद अध्यक्ष गंगाराम स्वयं कार्यक्रम स्थल की सफाई में खुद जुट जाते हैं, जिससे चंद मिनटों में ही मैदान क्लीन हो जाता है। इसकी स्थानीय स्तर पर तारीफ भी होती है। जनपद कार्यालय में भी सिंगल यूज प्लास्टिक प्रतिबंधित कर दी गई है। नाश्ता भी पत्ता के दोना में दिया जाता है।

सुबह से पहुंच जाते हैं फल, सब्जी बाजार
श्री पटेल हटा में लगने वाले फल, सब्जी बाजार में सुबह-सुबह नियमित रूप से पहुंचते हैं और वहां लोगों से पॉलीथिन का उपयोग न करने की अपील करते हैं। इस दौरान वह लोगों को कपड़े के थैले भी बांटते हैं ताकि लोग पॉलीथिन का उपयोग न करें। इसके अलावा आसपास के गांव के साथ ही हटा नगर में भी श्री पटेल घर-घर जाकर लोगों को कपड़े के थैले बांटते हैं।
खुद का बर्तन बैंक बनाया
शादी विवाह में अत्याधिक सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग होता है इससे बचने श्री पटेल ने खुद का बर्तन बैंक बना लिया है। जहां भी शादी समारोह की जानकारी मिलती है। वहां स्वयं पहुंचकर बर्तन प्रदान करते हैं। डिस्पोजल थाली और कटोरी के स्थान पर पत्ता से बनी थाली और कटोरी की व्यवस्था कराते हैं। इसमें कई बार स्वयं पत्ते तोड़कर पत्तल बनवाते हैं। श्री पटेल ने बताया कि गांव के पंडितों ने भी बर्तन बैंक में सहयोग किया है। उन्हें जो बर्तन दान पुण्य में मिलते हैं वह बर्तन बैंक को दे देते हैं।

घर-घर टंगी बोरियां
श्री पटेल ने बताया कि आजकल 90 प्रतिशत सामान प्लास्टिक पैकिंग में आता हैं। इससे होने वाले पर्यावरण नुकसान को रोकने के लिए घर-घर में बोरियां टंगी हुईं हैं, इनमें लोग प्लास्टिक एकत्रित करते हैं, जिन्हें वह स्वयं उठाते हैं और नष्ट कराते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार भी इस क्षेत्र में पहल कर रही है, जिससे सिंगल यूज रिसाइकिल होने की सुविधा मिल जाएगी।
पंचायत स्तर तक ले जाएंगे अभियान
जनपद पंचायत के सीईओ संजीव कुमार गोस्वामी ने बताया कि जनपद अध्यक्ष के निर्देशानुसार जनपद कार्यालय में सिंगल यूज प्लास्टिक प्रतिबंधित कर दी गई है। बैठकों के दौरान कांच के ग्लास में पानी और दोना में नाश्ता होता है। सिंगल यूज प्लास्टिक को रोकने ग्राम पंचायत स्तर पर भी अभियान चलाएंगे। जनपद स्तर और पंचायत स्तर होने वाले कार्यक्रमों में साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखा जाता है।

इस बार विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की थीम “End Plastic Pollution”
विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की थीम “End Plastic Pollution” इस वर्ष भी वैश्विक चिंता का विषय बनी हुई है। भारत समेत दुनिया भर में बढ़ते प्लास्टिक कचरे ने न केवल प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि मानव जीवन को भी गंभीर खतरे में डाल दिया है। मध्य प्रदेश भी इस संकट से अछूता नहीं है।
सरकारी और स्वतंत्र आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश में प्रतिदिन 500 टन से अधिक प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है। इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर जैसे शहरों में यह समस्या ज्यादा गंभीर है। सबसे चिंता की बात यह है कि इस कचरे का एक बड़ा हिस्सा या तो जमीन में गाड़ दिया जाता है, या खुले में जलाया जाता है जिससे वातावरण में जहरीली गैसें फैलती हैं। कई बार यह प्लास्टिक सीधे नदियों में बहा दिया जाता है, जिससे जल जीवन और जैव विविधता पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
सड़क निर्माण की पहल भी की जा रही है
राज्य सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने, रिसायक्लिंग यूनिट्स शुरू करने और डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण योजनाएं लागू करने जैसे कई कदम उठाए हैं। इंदौर जैसे कुछ शहरों में प्लास्टिक से सड़क निर्माण की पहल भी की गई है। परंतु, ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे कस्बों में अब भी जागरूकता की कमी है।
केवल सरकारी प्रयास काफी नहीं, जागरूकता भी जरूरी
विशेषज्ञों का मानना है कि प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए केवल सरकारी प्रयास ही काफी नहीं हैं। जनभागीदारी, शिक्षा और स्थानीय स्तर पर जागरूकता अभियान अनिवार्य हैं। स्कूलों में पर्यावरण शिक्षा, मंदिरों में पॉलिथीन निषेध, और दुकानों पर कपड़े के थैले को बढ़ावा देने जैसे उपायों से ही प्लास्टिक प्रदूषण पर काबू पाया जा सकता है।