कांग्रेस में होंगे “पॉवर पैक डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट” , दरबारियों की होगी छुट्टी

राजीव उपाध्याय
भोपाल में सांसद राहुल गांधी ने कांग्रेस के”संगठन सृजन” को लॉन्च किया। नाम अच्छा है, विचार अच्छा है। प्लान अच्छा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी का प्लान है। यह राहुल गांधी का “आदर्श डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट” सिलेक्शन का प्लान है। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि राहुल गांधी की सोच के आधार पर जैसा वह बोल रहे हैं, जैसा उनका प्लान है यदि शत प्रतिशत लागू होता है तो कांग्रेस का संगठन मजबूत हो सकता है, लेकिन बरसों से बुझी कांग्रेस में क्या इतनी ऊर्जा बची है कि वह उस तरीके से प्रज्ज्वलित हो सके जैसा कि लक्ष्य है। इसे पहले मध्य प्रदेश, गुजरात में लागू करेंगे।
राहुल गांधी के शब्दों का इशारा
राहुल गांधी के कुछ शब्द जिन पर ध्यान देना जरूरी है। जैसे थके हुए लोग,रेस का घोड़ा, फुल पॉवर।
1.रेस के घोड़ों को शादी के घोड़ों से अलग करना होगा।
2 फुल पॉवर के साथ होगा डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट।
3.अब वैसा डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट नहीं चलेगा जो कहीं और से चलता है यानि कि राहुल गांधी का इशारा आकाओं से है।
4. डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट को बायपास करके कोई आगे नहीं बढ़ सकता
5. डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट के पास असीमित अधिकार
6. कुछ कांग्रेस नेता कुछ भी बयान दे देते हैं, वे बीजेपी के लिए भी काम कर देते हैं।

rahul gandhi in mp
राहुल गांधी की मीटिंग के दौरान उपस्थित कांग्रेसी

ये है आदर्श संहिता
राहुल गांधी ने डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट की रूपरेखा जो तैयार की है वह आदर्श संहिता से कम नहीं। वे चाहते हैं कि पुराना जो चल रहा था अब वो नहीं चलेगा।जो नया डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट बनेगा वह फुल पॉवर से लैस होगा। सारी शक्तियां उसमें निहित होंगी।
शक्ति को समझने राहुल गांधी ने माइक का उदाहरण दिया जैसे कि बिना वोल्टेज का माइक, किसी काम का नहीं। इसके मायने राहुल गांधी ने स्पष्ट किए कि वे फुल पॉवर के साथ डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट बनाएंगे। उसकी बिना मंजूरी के न ब्लॉक का कोई पदाधिकारी चुना जाएगा, यही नहीं विधायक और सांसद कैंडिडेट चयन में भी उसकी आवाज का महत्व होगा, यानि उसकी मर्जी होगी। राहुल गांधी ने “आवाज” शब्द पर बहुत जोर दिया कि डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट की आवाज के मायने उसे दी गई पॉवर। जिसका वह उपयोग करेगा।
यह भी देखा जाएगा कि जब किसी असहाय या दलित पर अन्याय हो रहा था तो क्या कांग्रेस वहां उसके साथ खड़ी थी। यदि वहां कांग्रेस नहीं थी तो इसका मतलब डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट कमजोर है। डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट सिलेक्शन में यह भी देखा जाएगा कि कांग्रेस के अंदर और बाहर वह न्यू जनरेशन को साथ लेकर चल रहा है कि नहीं। लोकल बॉडी के इलेक्शन में, एमएलए और एमपी के इलेक्शन में कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ा था कि नहीं।
राहुल गांधी के जो मापदंड हैं वे किसी आदर्श संहिता से कम नहीं। अब सवाल यह उठता है कि क्या कांग्रेस में यह संभव है।
हकीकत यह है 
हकीकत यह है कि कांग्रेस अभी अंदरूनी गुटबाजी में ही उलझी है। दो दिन पहले ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस के अंदर ही स्लीपर सेल हैं जोकि यहां की खबरें बीजेपी को देते हैं। इनको बाहर निकलना जरूरी है। कांग्रेस के इन वरिष्ठ नेता की बात को क्या राहुल गांधी ने तवज्जो दिया। वैसे यह जानकारी राहुल गांधी को है। पेड़ को मजबूत करने के लिए जड़ों से दीमक हटानी पड़ेगी। अभी जो भी डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट हैं वे अपने आकाओं के दम पर राजनीति कर रहे हैं।
उनके इशारे पर ही वहां डिस्ट्रिक्ट में कांग्रेस चल रही है। अन्य गुट की अपनी अलग राजनीति है। जो गुट जहां हावी है वो वहां अपनी राजनीति चला रहा है। कांग्रेस के अंदर ही कई कांग्रेस चल रही है, जिसे कुछ वरिष्ठ नेता गुटबाजी करके चला रहे हैं। राहुल गांधी ने एक बात कही कि कांग्रेस में जहां रेस का घोड़ा होना चाहिए वहां शादी का घोड़ा भेज दिया जाता है और उसे दौड़ाने पीछे से चाबुक मारते हैं तो वह बैठ जाता है इस बात को करते समय उन्होंने कहा कि यह बात मुझे कमलनाथ ने कही। कांग्रेस के अंदर इतनी उलझनों से पार होकर क्या राहुल की सोच के आदर्श डिस्ट्रिट प्रेसिडेंट मिल सकेंगे। मध्य प्रदेश के लिए 55 डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट चाहिए हैं जिनको एआईसीसी से आए 61आब्जर्वर सिलेक्ट करेंगे।

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