कृतिका और रोहिणी नक्षत्र के साथ सुकर्मा योग में मनाई जाएगी शनि जयंती

तिलवारा शनिधाम में दो दिवसीय शनि जन्मोत्सव महोत्सव, 27 मई को भव्य 56 भोग और महाभिषेक

जबलपुर। तिलवारा स्थित प्राचीन श्री शनिधाम मंदिर में इस वर्ष शनि जन्मोत्सव विशेष वैदिक संयोगों के साथ श्रद्धा और भक्ति के वातावरण में मनाया जाएगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को शनि देव का प्राकट्य हुआ था, जिसे शनि जयंती के रूप में देशभर में श्रद्धा से मनाया जाता है। इस अवसर पर 26 और 27 मई को दो दिवसीय भव्य धार्मिक आयोजन रखा गया है।
मंदिर व्यवस्थापक पं. सतीश तिवारी ने बताया कि 26 मई को श्री रामचरित मानस पाठ से कार्यक्रम की शुरुआत होगी। वहीं, 27 मई मंगलवार को शनि जयंती के दिन दिव्य 56 भोग, शनि महाभिषेक, पुष्प श्रृंगार, दिव्य आरती एवं भंडारे का आयोजन किया जाएगा। महाभिषेक का आयोजन शाम 6 बजे होगा, जिसमें मथुरा-वृंदावन से आए विद्वान महाराज विशेष अनुष्ठान संपन्न कराएंगे।
इस बार की शनि जयंती और भी विशेष मानी जा रही है क्योंकि वैदिक पंचांग के अनुसार इस दिन कृतिका और रोहिणी नक्षत्र के साथ सुकर्मा योग बन रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार यह संयोग साधना और पूजा के लिए अत्यंत शुभ होता है। मान्यता है कि शनि जयंती पर विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से साढ़ेसाती, ढैया और शनि की महादशा से राहत मिलती है। इस दिन शनिदेव के भक्त उपवास रखते हैं और तिल, तेल, काली वस्तुएं अर्पित कर विशेष पूजन करते हैं।
तिलवारा स्थित श्री शनिधाम में आयोजित महोत्सव में रामचरितमानस पाठ के साथ-साथ 56 प्रकार के व्यंजनों से भगवान शनिदेव को भोग लगाया जाएगा। इस अवसर पर भक्तों के लिए दिनभर भंडारे की भी व्यवस्था की गई है। आयोजकों ने श्रद्धालुओं से अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर पूजन-अर्चन करने और पुण्य लाभ अर्जित करने का आग्रह किया है।
पवित्र नर्मदा में होगा पुण्य स्नान
शनि जयंती के दिन अमावस्या तिथि होने के कारण यह दिन वट सावित्री व्रत और पवित्र नदियों में स्नान के लिए भी अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान कर दान-पुण्य करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। जबलपुर में नर्मदा घाटों पर इस दिन श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगाएंगे।
शनि जयंती क्यों है विशेष?
शनि देव, सूर्य पुत्र और न्याय के देवता माने जाते हैं। वे कर्मों के अनुसार फल देने वाले देवता हैं। शनि जयंती पर उनका पूजन जीवन में चल रही बाधाओं, कष्टों और ग्रहदोषों को शांत करने में सहायक होता है। पुराणों में वर्णन मिलता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति श्रद्धा से शनिदेव का पूजन करता है, उसे विशेष कृपा प्राप्त होती है।
पं. सतीश जी महाराज, पं. अनिल मिश्रा, नितिन शर्मा, विध्येश भापकर, नितिन भाटिया, संजय तिवारी, शुभम तिवारी, सोनू कुररिया, राज सिंह, नितेश राजपूत, हितेश पटेल, विवेक पाण्डेय, राकेश कुशवाहा, शिवा तिवारी, अशोक साहू, गणेश साहू, विजय पटेल, विजय ठाकुर, राजकुमार पटेल, लक्ष्मण पटेल, गौरव सेनी, ब्रजेश कुशवाह, सिद्धांत विनायक, करण भट्टाचार्य, पट्टू उर्प्रीत, मनीष साहू, आशीष विश्वकर्मा, रितेश शुक्ला, ईश्वर दास, अमित पटेल, मुकेश राठौर, अभिषेक ठाकुर, संदीप साहू, ईशान शर्मा, सौरभ कुशवाहा, सचिन खटिक, मनोज ठाकुर, गेंदूलाल सेन, भूरा जैन और प्रदीप साहू आदि ने श्रद्धालुओं से पहुंचने की अपील की है।

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