
जबलपुर। जमतरा पुल एक बार फिर सुर्खियों में है। रेलवे ने इसे जर्जर की श्रेणी में रखते हुए स्क्रैप घोषित कर दिया है। इसे अब तोड़ा जाएगा। वहीं ग्रामीण इसे बचाने के लिए लामबंद हैं। रेलवे और ग्रामीणजन के अपने अपने तर्क हैं। एक के तर्क तोड़ने के हैं, दूसरे के बचाने के।
रेलवे का तर्क
जमतरा ब्रिज का परीक्षण कराया है।यह जर्जर हो गया है। इससे लोग मोटर सायकिल से निकलते हैं कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है।
ये है ब्रिज
जमतरा ब्रिज अंग्रेजों के जमाने का है। इससे छोटी लाइन ट्रेन जबलपुर से बालाघाट के लिए गुजरती थी। ब्रॉडगेज बनने के बाद 2015 से इस ब्रिज से ट्रेन बंद हो गई है। इस ब्रिज से ग्रामीणों का जबलपुर आना जाना आसान हो जाता है। ब्रिज के बंद होने या टूटने से ग्रामीणों को करीब 25 किमी लंबा चक्कर चूल्हागोलाई होते हुए जबलपुर आना पड़ेगा।
ग्रामीणों का तर्क
जमतरा ब्रिज अंग्रेजों के जमाने का है। इसे तोड़ने के बजाय हैरिटेज घोषित कर दिया जाए। यह हमारी विरासत है। ग्रामीणों को भी अवागमन की सुविधा मिलती रहेगी।
बंद करने प्रक्रिया शुरू
जमतरा ब्रिज को दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे लोहे के गार्डर लगाकर बंद कर रहा है।
आंदोलन करेंगे
ग्रामीणों का कहना है कि हम सभी ग्रामीणजन जमतरा ब्रिज को तोड़ने का विरोध करते हैं। जमतरा ब्रिज के कारण ग्रामीणों को काफी सहूलियत है। यदि रेलवे ने ब्रिज तोड़ा तो हम आंदोलन करेंगे।