
जबलपुर। गत वर्ष 6 जून को नो फ्लाइंग डे जबलपुर में मनाया गया जिसका उद्देश्य जबलपुर को वायु मार्ग के राष्ट्रीय मानचित्र पर स्थापित करना था। इस वृहद आंदोलन में समाज के हर वर्ग ने सहभागिता की तथा उक्त आंदोलन की चर्चा संपूर्ण देश में की गई। एक जानकारी में वायु सेवा संघर्ष समिति के संयोजक हिमांशु खरे ने बताया कि एक वर्ष बीत जाने के बाद जबलपुर की वायु सेवाओं में आंशिक सुधार हुआ है तथा अभी बहुत कुछ करने की संभावना है। उन्होंने बताया कि जहां जबलपुर को पुणे, चेन्नई, कोलकाता, अहमदाबाद से सीधी वायु सेवा से जोड़ने की आवश्यकता है वहीं दिल्ली एवं मुंबई के लिए अतिरिक्त वायु सेवा की भी दरकार है।
पुणे के लिए पहल
संघर्ष समिति के बलदीप मैनी, मनु शरत तिवारी, सोहन परोहा, जितेंद्र पचौरी दीपक सेठी ने बताया कि अभी हाल ही में पुणे में 15 वायु सेवाओं के लिए स्लॉट निर्धारित किया गया है। अभी आवश्यकता है कि जबलपुर का नेतृत्व सार्थक पहल करते हुए पुणे विमानतल पर जबलपुर की सीधी वायु सेवा के लिए स्लॉट प्रदान करने संघर्ष करे।
फ्लाइट सर्किट बनाने की जरूरत वायु सेवा संघर्ष समिति के अजीत पवार, प्रीति चौधरी, सुनील श्रीवास्तव आदि ने बताया कि जबलपुर को विभिन्न शहरों से जोड़ने फ्लाइट सर्किट बनाने की आवश्यकता है जिसके तहत 500 किलोमीटर की परिधि में स्थित शहरों तक आने वाली फ्लाइट्स को जबलपुर तक बढ़ाया जाए। हमारे नजदीकी शहर जैसे नागपुर, इंदौर, भोपाल, प्रयागराज, रायपुर तक आने वाली विभिन्न वायु सेवाओं को जबलपुर तक आगे बढ़ाया जाए जिससे कि हमारी समस्या कुछ हद तक कम हो।
वायुसेवा संघर्ष समिति ने आशा व्यक्त की है जबलपुर की वायुसेवाओं को सुदृढ़ बनाने सभी वर्गों के लोग आगे बढ़ेंगे तथा वायुसेवा संघर्ष समिति उड़ान जबलपुर के प्रयास एवं संघर्ष में अपना बहुमूल्य योगदान देंगे।