
डोरीलाल को सत्यान्वेषी जी मिल गये। जहां तहां से कपड़े फटे हुए थे। खून से लथपथ थे। पूछा ये आपको क्या हुआ ? आप क्या करते हैं? उन्होंने कहा कि मैं सत्य का अन्वेषण करता हूं। इसीलिए पिटाई हुई है। डोरीलाल से रहा न गया। क्यों भाई आप सत्य की खोज क्यों करते हैं ? जब सत्य की खोज करने पर पिट चुके हो तो जब सत्य को पा लोगे तब तो जिन्दा न बचोगे। जब पूरी दुनिया झूठ से इतनी खुश है। झूम झूम कर नाच नाच कर झूठ का उत्सव मना रही है तो आप काहे सत्य के पीछे पड़े हैं। अभी भी देर नहीं हुई है। सच की खोज छोड़ो झूठ का दामन पकड़ो, पद प्रतिष्ठा मान सम्मान सब मिल जाएगा।
सत्यान्वेषी जी ने कहा डोरीलाल जी झूठ के कारण ही सत्य की खोज करना होती है। जब तक सत्य कपड़े लत्ते पहन कर तैयार होता है तब तक झूठ सूटबूट पहनकर पूरी दुनिया का चक्कर लगा आता है। झूठ आग की तरह फैलता है। पर आसानी से पकड़ में आ जाता है। झूठ के साथ हजारों लोग खड़े मिलेंगे मगर सत्य अकेला होता है। टैगोर भुक्तभोगी थे कहते थे, सचाई की राह में अकेले ही चलो। कोई साथ न देगा।
डोरीलाल को इतना ज्ञान एक साथ मिलने लगा तो मन मचलने लगा, पूछा सत्यान्वेषी जी ये तो बताइये जिस सत्य की खोज आप कर रहे हैं वो मिल भी गया तो हम कैसे मानेंगे कि वही सच है। सत्यान्वेषी जी प्रसन्न हुए। बोले – सत्य पर शंका करना ही सत्य की सही समझ है। झूठ को जस का तस स्वीकार कर लिया जाता है। सत्य पर हमेशा प्रश्नचिन्ह रहता है। विज्ञान हमेशा इसके लिए तैयार रहता है। डार्विन के सि़द्धांत के आने के पहले मानव विकास की समझ अलग थी। अब अलग है।
वैज्ञानिक नोअल हरारी ने कहा है- सत्य बहुत मंहगा होता है। दिमाग, समय, पैसा खर्च करना होता है। सत्य की खोज बहुत कठिन है। झूठ बहुत सस्ता है। आसानी से मिल जाता है। उठाईये कागज कलम और लिख डालिये एक मनोहर कहानी। झूठ कल्पना से रचा जाता है। इसलिए झूठ सुलभ और सत्य दुर्लभ है।
झूठ बहुत लोकप्रिय होता है। सत्य बहुत अप्रिय होता है। कड़वा होता है। झूठ आसानी से मान लिया जाता है। झूठ के किले के अंदर राजा सुरक्षित रहता है। दंगे फसाद झूठी अफवाह फैलाने भर से हो जाते हैं। झूठ के साथ बड़ी भीड़ होती है। इसे बस छू कहने की जरूरत है। आदमी में मूर्ख बनने की सहज प्रवृत्ति है। आप सब लोगों को कुछ समय के लिए मूर्ख बना सकते हैं। आप कुछ लोगों को हमेशा के लिए मूर्ख बना सकते हैं। मगर आप सभी लोगों को हमेशा के लिए मूर्ख नहीं बना सकते।
सत्यान्वेषी पहले सबूत ढूंढता है। तब किसी निष्कर्ष पर पंहुचता है। वो तैयार रहता है कि उसका निष्कर्ष उसकी मान्यता से विपरीत हो। मूर्ख पहले निष्कर्ष निकालता है और उसके बाद अपने निष्कर्ष को सिद्ध करने के लिए सबूत ढूंढता है। गैलीलियो को सजा इसलिए मिली क्योंकि उसने कहा कि धरती गोल है और सूर्य का चक्कर लगाती है। उसे कोई सपना नहीं आया था। उसके प्रयोगों और अध्ययन से यह निष्कर्ष निकला था। मगर चर्च ने कहा कि तुम्हारे निष्कर्ष गलत हैं। धर्म विरूद्ध हैं। उसे सजा देने का निर्णय भी बहुमत से लिया गया। (चार सौ साल बाद इटली के चर्च ने गैलीलियो से माफी मांगी तुम सही थे हम गलत थे।)
जब माता सीता का साधु वेशधारी ने अपहरण किया तो प्रभु ने पवनपुत्र से कहा कि सत्य का पता लगाओ। उसके साधु वेश पर मत जाओ। साधु वेश में डाकू, चोर, लुटेरा, बदमाश कोई भी हो सकता है। सीधा सादा आदमी साधु वेशधारी को देखते ही चरणों में गिर जाता है। इसीलिए कुटिल चालाक लोग साधु वेश में घूम घूम कर भिक्षा मांगते हैं। सीता कहां है, किस हाल में है, रावण की सेना कैसी है? और रावण की शक्ति का रहस्य क्या है ? पवनपुत्र ने लंका जाकर माता सीता का पता लगाया। इसीलिए साधु वेश में जो भी हो उसे उसकी वाणी, कर्मों और ज्ञान से परखो। फिर साधु मानो।
अच्छे कामों का, सच्चे कामों का खूब विरोध हुआ है। महात्मा फुले और सावित्री बाई फुले ने जब सन् 1848 में बच्चियों को पढ़ाने के लिए स्कूल प्रारंभ किया तो उनपर गोबर, पत्थर और कीचड़ फेंका जाता था। पर वो लड़े और अमर हो गए। उन्होंने अपना सत्य नहीं छोड़ा। ज्योतिबा फुले ने जो संस्था बनाई थी उसका नाम था सत्यशोधक समाज – सत्य का शोधन।
जब सुकरात पर मुकदमा चला तो बहुमत से फैसला हुआ कि सुकरात को जहर देकर मार दिया जाए। जब गैलीलियो को जेल भेजा गया तो फैसला बहुमत से हुआ। जब ईसा अपना सलीब ढ़ो रहे थे तब वो भी अकेले थे और शैतानी लोग चारों ओर थे। इसीलिए जब किसी के साथ भीड़ दिखे, बहुमत दिखे तो ये न समझना कि झूठ जीत गया। सच हार गया। सुकरात, ईसा, गैलीलिया इन सबको को मारने वालों को कोई नहीं पहचानता न याद करता। अपनी सचाई के कारण तीन हजार साल बाद भी सुकरात, ईसा ही याद किये जाते हैं।
सत्य की राह में चलने वाला एक आदमी हमारे समय में भी हुआ है। उस आदमी ने अपने आपको सत्य की प्रयोगशाला बना दिया। उसने जीवन भर ’सत्य के प्रयोग’ किए। इस प्रयोगशाला को गोली मारकर खत्म कर दिया गया। शरीर की हत्या हो गई पर सत्य मरा नहीं। सत्य मरता नहीं।
डोरीलाल सच्चाई प्रेमी