
राजीव उपाध्याय
जबलपुर। कांग्रेस में पिछले कुछ वर्षों में स्लीपर सेल, जिन्हें कांग्रेसी ‘फूल छाप कांग्रेसी’ कहते हैं, उनकी संख्या बढ़ गई है। कांग्रेस में रहकर कांग्रेस की जड़ों को खोखला करने का काम स्लीपर सेल ने बखूबी किया है। जो बीजेपी में चले गए, उनसे कांग्रेस को नुकसान का डर नहीं है, असली समस्या उनसे है जो कांग्रेस की रणनीति बीजेपी तक पहुंचाने का काम कांग्रेस में रहकर कर रहे हैं। इस बारे में आवाज तो उठती है लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती।
कौन हैं वे, जो डेमेज कर रहे
भोपाल में कांग्रेस की एक बैठक दो माह पहले हुई थी जिसमें वरिष्ठ नेता पीसी शर्मा ने मुखर होकर यह पीड़ा जाहिर की थी। उन्होंने मीडिया से कहा था कि “कांग्रेस को मजबूत करने के लिए कांग्रेस के अंदर स्लीपर सेल या बीजेपी के लिए काम करने वालों की पहचान करना जरूरी है।” संगठन सृजन के तहत एआईसीसी पर्यवेक्षक जबलपुर आए तब कांग्रेस के समर्पित नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भी स्लीपर सेल का मुद्दा उठाया।
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उनका कहना था कि कांग्रेस के अंदर ऐसे लोग हैं जिन्होंने चुनावों में कांग्रेस को काफी नुकसान पहुंचाया है। स्लीपर सेल किसी भी पार्टी में हों, उनका चुनाव में बड़ा असर पड़ता है। चुनाव का आकार छोटा हो तो यह असर और भी बड़ा दिखता है, जैसे पंचायत चुनाव में। प्रदेश में बीजेपी का लंबे समय से शासन है, इसलिए निकायों में भी नेता सत्ता के करीब जाने की कोशिश करते हैं और कांग्रेस को इसका लगातार नुकसान होता है। समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता ऐसे लोगों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
यह भी हैं स्लीपर सेल
कांग्रेस में स्लीपर सेल वे भी हैं जो बीजेपी के साथ मिलकर कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ते हैं। वे अपनी चुनावी रणनीति और निजी प्लानिंग बीजेपी से तो शेयर करते हैं लेकिन कांग्रेस से नहीं करते। इससे कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो रहा है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि जिन पर उंगली उठनी चाहिए, उन पर कोई ध्यान नहीं देता।
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निष्कासन का इंतजार
कांग्रेस के नेता जिनकी विचारधारा बीजेपी से मेल खाती है, उन पर कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व चुप क्यों है? यह सवाल कार्यकर्ता दबी जुबान में उठा रहे हैं। हालांकि पूर्व सांसद लक्ष्मण सिंह के खिलाफ छह साल के लिए निष्कासन की कार्रवाई की गई है। फिर भी कार्यकर्ताओं का कहना है कि कई ऐसे नेता और कार्यकर्ता हैं जो कांग्रेस में रहकर बीजेपी के लिए काम कर रहे हैं। संगठन सृजन तभी सफल होगा जब केंद्रीय नेतृत्व इन पर भी नजर रखेगा और उचित कार्रवाई करेगा।