
जबलपुर। जबलपुर तथा यहां के नागरिकों के भविष्य के विजन डॉक्युमेंट यानी मास्टर प्लान पर जबलपुर संघर्ष समिति के तत्वावधान में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इसमें समाज के विभिन्न वर्गों के नागरिकों ने भाग लिया। समिति संयोजक हिमांशु खरे ने कहा कि मास्टर प्लान भविष्य का आईना होता है, जिससे सभी नागरिकों को सरोकार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि आम जनता इससे अछूती रही तो यह योजना कभी सफल नहीं मानी जा सकेगी।
नए जबलपुर और सैटेलाइट सिटी पर हो विचार
हिमांशु खरे ने कहा कि जबलपुर को अब मेट्रोपॉलिटन रीजन में शामिल किए जाने की आवश्यकता है, जैसे भोपाल और इंदौर को राज्य शासन ने मेट्रोपॉलिटन सिटी घोषित किया है। ग्रेटर जबलपुर या नई सैटेलाइट सिटी की अवधारणा को मास्टर प्लान में शामिल किया जाना चाहिए। यह जरूरी है कि वर्तमान शहर की अधोसंरचना के साथ-साथ बढ़ती आबादी के दबाव को देखते हुए नया जबलपुर भी विकसित किया जाए।
जिम्मेदार एजेंसियों की भूमिका हो स्पष्ट
उद्योगपति कैलाश गुप्ता ने कहा कि मास्टर प्लान के क्रियान्वयन में नगर निगम, जबलपुर विकास प्राधिकरण और कैंटोनमेंट बोर्ड की भूमिका अहम है। इनकी जिम्मेदारियां तय होनी चाहिए। उन्होंने पूर्व के मास्टर प्लानों का ऑडिट करने की भी मांग की, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि अब तक उन योजनाओं को क्यों नहीं लागू किया गया और नए प्लान में कौन-कौन सी विसंगतियां नहीं दोहराई जानी चाहिए।
विकास के साथ विरासत का भी संरक्षण
प्रैक्टिसिंग इंजीनियर्स एसोसिएशन के संजय वर्मा, पीएस राजपूत, इंटैक के संजय मेहरोत्रा और ब्रजेश सिंह ने सुझाव दिया कि जबलपुर के लिए एक समग्र, समावेशी और आधुनिक मॉडल पर आधारित ब्लूप्रिंट तैयार किया जाना चाहिए, जिसमें शहर की ऐतिहासिक विरासत का भी संरक्षण हो। उन्होंने शहर के तालाबों के संरक्षण पर भी विशेष बल दिया।
हर वर्ग से लिया जाएगा सुझाव
जबलपुर संघर्ष समिति के बलदीप मैनी, मनु शरत तिवारी, हिमांशु राय, प्रीति चौधरी और रंजना तिवारी ने कहा कि समिति इस विषय पर नियमित बैठकें आयोजित करेगी। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग तथा शासन को विभिन्न वर्गों से मिले सुझावों को विधिवत रूप से भेजा जाएगा, ताकि जबलपुर का मास्टर प्लान एक प्रभावशाली और सफल दस्तावेज बन सके।