
राजीव उपाध्याय
जिंदगी ईश्वर का दिया अनमोल तोहफा है। किसी को हक मत दीजिए कि ईश्वर के इस तोहफे के साथ खिलवाड़ करे। आपकी जिंदगी से खेलने का हक किसी को नहीं है। वह तभी संभव है जब हम जिंदगी को समझौता एक्सप्रेस न समझें। शादी वैसे भी एक तरह का कांट्रेक्ट होता है।
हमारे समाज में यह धारणा बन गई है कि कोई लड़का या लड़की शादी नहीं करना चाहता या देर से करना चाहता है तो समाज या रिश्तेदारों के पेट में दर्द होने लगता है। वे यह नहीं समझते कि उसने जीवन में कुछ अच्छे लक्ष्य निर्धारित किए हैं उसे पहले पूरा करना है। शादी उसमें बहुत नीचे आता है, वह करे या न करे फर्क नहीं पड़ता। शादी जब भी हो उसमें प्यार दिखना चाहिए, मजबूरी नहीं। आज इस विषय पर लिखने की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि मध्य प्रदेश के इंदौर के राजा रघुवंशी की उसकी पत्नी सोनम रघुवंशी ने हनीमून पर हत्या करवा दी। सिर्फ इसलिए कि शादी तो कर ली लेकिन पसंद कोई और था।
ये है सत्य
समाज में शादी को जिंदगी का सबसे बड़ा काम माना जाता है। लोगों को ऐसा लगता है कि बचपन से जवान होने तक का एक ही ध्येय है वह है शादी। यह सोच उन पेरेंट्स की भी है जिनके बच्चे जवान हो गए। ठीक है, अच्छी बात है लेकिन आज का वक्त और पुराना वक्त यानि कि 90 के दशक और उसके पूर्व का वक्त का आकलन किया जाए तो अभी के वक्त और उस दौर के वक्त में जमीन आसमान का अंतर है। उस दौर में विवाह को निभाने की परंपरा थी।
ऐसा जरूरी नहीं है कि उस दौर में पति पत्नी के बीच बहुत अच्छा संबंध ही रहता था, या मन की भावनाएं मेल खाती ही थीं। ऐसा न होते हुए भी पति पत्नी और उनके दोनों का परिवार संबंधों का निर्वाह करता था। लड़के लड़कियों का वैवाहिक संबंध जोड़ते वक्त जल्दबाजी नहीं होती थी। दोनों परिवार एक दूसरे को अच्छी तरह समझकर रिश्ते को आगे बढ़ाते थे। लड़के लड़कियां भी अपने परिवार की प्रतिष्ठा को ध्यान में रखते थे।
गलत निर्णय भी होते थे
उस जमाने में भी गलत निर्णय होते थे, वैसे ही जैसे अभी हो रहे हैं लेकिन वह निर्णयों को घर की लाज समझकर लड़के लड़कियां शादी के बाद दिल को समझाकर, या जिंदगी की नियति मानकर निर्वाह कर लेते थे। पति पत्नी एक दूसरे को या परिवार को नुकसान नहीं पहुंचाते थे। नहीं बन रही है या दहेज प्रकरण, तलाक के केस भी होते थे, अभी भी होते हैं लेकिन अभी तो रिश्तों का अस्तित्व ही नहीं है, रिश्तों का टूटना जैसे आम हो गया है।
शादी दबाव में क्यों, पड़ताल करें
आज का दौर बिल्कुल अलग है। लड़कियां लड़कों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर बाहर काम कर रही हैं। आज परिवार के मूल्य भी बदल गए हैं। लड़की की शादी कर रहे हैं या लड़के की, दोनों को एक दूसरे के बारे में उनके परिवार के बारे में पूरी तरह से पड़ताल करना जरूरी है। लड़के या लड़की जिनकी शादी हो रही है वे दोनों एक दूसरे से पूछें कि कहीं वे दबाव में तो शादी नहीं कर रहे। उनका किसी के साथ अफेयर तो नहीं है। यदि है तो फिर वे इस शादी को क्यों कर रहे हैं।
ऐसा भी होता है कि कहीं किसी का ब्रेकअप हो जाता है तो वे किसी और के साथ शादी केवल उसे जेल्सी फील कराने कर लेते हैं लेकिन कुछ समय बाद फिर दोनों एक दूसरे को चाहने लगते हैं। इससे उसके साथ धोखा होता है जिससे उसने शादी की है। इसलिए सब कुछ शादी के पहले ही क्लियर होना जरूरी है ताकि इस तरह की परिवार को डेमेज करने वाली एक्टिविटी न हो।
पसंद पूछे, पड़ताल भी करें
शादी के लिए यदि बेटे, बेटी खुद तैयार हों तो पहले उनकी पसंद पूंछे वहां भी पड़ताल करें। यदि पेरेंट्स रिश्ता कर रहे हैं तब भी पूरी तरह से पड़ताल करें। शादी तय होने के बाद भी जल्दबाजी न करें। कुछ समय एक दूसरे को समझने का मौका दें फिर शादी करें। फिर वही कहूंगा कि शादी में प्यार दिखना चाहिए, मजबूरी नहीं क्योंकि जीवन समझौता एक्सप्रेस नहीं है।