
जबलपुर। भाई-बहनों के स्नेह का प्रतीक रक्षाबंधन इस वर्ष 9 अगस्त 2025, शनिवार को अत्यंत शुभ संयोगों के साथ मनाया जाएगा। इस बार रक्षाबंधन का पर्व खास इसलिए भी है क्योंकि न केवल भद्रा दोष का कोई प्रभाव नहीं होगा, बल्कि समसप्तक योग और पंचक जैसी विघ्नकारी स्थितियां भी पर्व में बाधा नहीं डालेंगी। यह एक ऐसा संयोग है जो वर्षों बाद देखने को मिल रहा है और इसे लेकर देशभर में उत्साह और श्रद्धा का वातावरण है।
समसप्तक योग और भद्रा रहित रक्षाबंधन
रक्षाबंधन पर इस बार 29 वर्षों बाद समसप्तक योग बन रहा है, जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके अलावा, 100 वर्षों के बाद यह भी विशेष है कि रक्षाबंधन पर भद्रा का कोई प्रभाव नहीं होगा। आचार्य सौरभ उपाध्याय के अनुसार, भद्रा काल का आरंभ 8 अगस्त को दोपहर 1:41 बजे से होगा और यह रात 1:32 बजे तक रहेगा। वहीं पूर्णिमा तिथि का आरंभ भी 8 अगस्त को 1:42 बजे से होगा, जो कि 9 अगस्त को दोपहर 1:23 बजे तक चलेगी। इस आधार पर रक्षाबंधन का पर्व 9 अगस्त को उदया तिथि में पूरे शुभता के साथ मनाया जाएगा।
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श्रावणी उपाकर्म और पंचक का भी कोई असर नहीं
आचार्य सौरभ उपाध्याय के अनुसार इस बार रक्षाबंधन पर पंचक काल का भी कोई प्रभाव नहीं रहेगा। श्रावणी उपाकर्म के साथ मनाया जाने वाला यह पर्व वर्षों बाद बिना किसी ग्रह दोष या अशुभ समय के मनाया जाएगा। पंचक और भद्रा का प्रभाव न होने से दिनभर राखी बांधना संभव होगा। बहनें बिना किसी चिंता के अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांध सकेंगी और उनसे दीर्घायु एवं सुख-समृद्धि की कामना करेंगी।
रक्षाबंधन के प्रमुख शुभ मुहूर्त
इस बार रक्षाबंधन के दिन कई शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं, जिनमें बहनें अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं।
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 5:29 से 6:05 बजे तक
सर्वोत्तम मुहूर्त: सुबह 6:06 से 8:20 बजे तक
विजय मुहूर्त: सुबह 10:47 से 11:58 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:59 से 12:53 बजे तक
इन मुहूर्तों में राखी बांधना विशेष फलदायी माना जाता है।
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धार्मिक और पारिवारिक महत्व
रक्षाबंधन केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि भाई-बहन के प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। यह पर्व भारतीय संस्कृति की आत्मा में रचा-बसा है। इस दिन बहनें भाइयों को राखी बांधती हैं और भाई उन्हें रक्षा का वचन देते हैं। पूजा-पाठ, मिठाइयां, उपहारों का आदान-प्रदान और पारिवारिक एकजुटता रक्षाबंधन को विशेष बनाती है। इस बार जब ग्रह-नक्षत्रों की अनुकूलता भी इसके पक्ष में है, तो यह पर्व और भी शुभ व मंगलकारी हो जाएगा।
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