
राजीव उपाध्याय
जबलपुर। कांग्रेस में डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट बनने अचानक पर्दे के पीछे से कई चेहरे निकल आए हैं। शतरंज की बिसात बिछ गई है, सब अपने मोहरे चल रहे हैं। शनिवार को जैसे ही एआईसीसी पर्यवेक्षक गुरदीप सिंह सप्पल जबलपुर पहुंचे, कांग्रेस में राजनीति गरमा गई। अभी तक तो शहर अध्यक्ष सौरभ शर्मा आश्वस्त थे कि वही एक कैंडिडेट हैं लेकिन जब एआईसीसी पर्यवेक्षक ने कहा कि एक नहीं छह नाम जाएंगे जिनमें से एक का चयन होगा,तब अचानक बहुत से नेताओं ने सफेद कुर्ता, पायजामा, और टोपी प्रेस करवा ली और अपना नाम कार्यकर्ताओं के बीच उछाल दिया।
ये नाम चलने लगे
डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट बनने की लाइन में सेवादल के वर्तमान और पूर्व पदाधिकारी, विधायक का चुनाव हार चुके एक कैंडिडेट के भाई, ग्रामीण क्षेत्र से अध्यक्ष बनने के लिए ग्रामीण से प्रदेश प्रतिनिधि ,पूर्व महामंत्री , कार्यकर्ता , वर्तमान वा पूर्व पदाधिकारी इच्छुक हैं।
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क्यों बनना चाहते हैं अध्यक्ष
संगठन सृजन के तहत् जो डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट बनेगा वह पॉवर पैक होगा। उसे सांसद, विधायक उम्मीदवार का नाम चयन करने का अधिकार रहेगा। उसके पास वह शक्ति होगी जो अभी तक कांग्रेस में दिल्ली वा भोपाल में बैठे बड़े नेताओं के पास थी। इससे उसका कद बढ़ेगा। वहीं कांग्रेस में जहां मठाधीश बने नेता हैं उनके चक्कर अब कार्यकर्ताओं को नहीं लगाने होंगे क्योंकि हर बड़े फैसले में उनकी नहीं अब अध्यक्ष की मुहर लगेगी।
चुना जाएगा मजबूत जिला अध्यक्ष
एआईसीसी पर्यवेक्षक गुरदीप सिंह सप्पल शनिवार को जबलपुर पहुंचे उन्होंने कहा कि कांग्रेस को संगठन मजबूत करना है। इसके लिए संगठन सृजन बहुत गंभीरता से बनाया गया प्लान है। दिसंबर 2025 तक देश के हर राज्य को हम कवर कर लेंगे और जिलों में संगठन सृजन के तहत नए जिला अध्यक्ष बन जायेंगे। इस चयन में हर कांग्रेसी की वा कांग्रेस की विचारधारा रखने वाले संगठनों की बात सुनी जाएगी, वह रिकॉर्ड होगी और उस दिन ही एआईसीसी तक भेजी जाएगी। इसकी मॉनिटरिंग खुद राहुल गांधी कर रहे हैं।
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प्लान आकर्षक, नाम चलाने की होड़
एआईसीसी पर्यवेक्षक गुरदीप सिंह सप्पल ने डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट के पॉवर के बारे में बताया तो धीरे धीरे कांग्रेस कार्यकर्ताओं के पास फोन आने लगे कि बैठक में मेरा नाम चला देना।
एआइसीसी पर्यवेक्षक ने राहुल गांधी के प्लान के बारे में बताया कि वे संगठन को मजबूत करना चाहते हैं। श्री सप्पल ने कहा कि वक्त के साथ कांग्रेस को अपना संगठन मजबूत करने की जरूरत है। अभी तक सारी शक्तियां कांग्रेस में ऊपर की ओर हैं यानि कि अभी सभी शक्तियां कांग्रेस में केंद्र, राज्य, एमपी , एमएलए के पास हैं। डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट के पास कोई शक्ति नहीं होती थी, जबकि संगठन उसे चालाना है। इसलिए संगठन सृजन में अब डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट को काफी शक्तियां दी हैं।
….जो कांग्रेस की विचारधारा का हो
एमपी और एमएलए की टिकट में भी उसकी स्वीकृति ली जाएगी। इसलिए हर जिले से ऐसा नाम चयनित किया जाएगा जो कांग्रेस की विचारधारा का हो, उसकी बात कांग्रेसजन सुनते हों, वह संगठन चलाना जानता हो। लिस्ट में किसी एक का नहीं बल्कि हर वर्ग के प्रतिनिधत्व करने वाले नाम होंगे, ऐसे छह कैंडिडेट्स के नाम भेजे जाएंगे,उसमें से चयन होगा।इसके लिए हर जिले में एक एआईसीसी पर्यवेक्षक और तीन पीसीसी पर्यवेक्षक भेजे गए हैं। हम सभी एक सप्ताह तक जिले में रहकर सभी से बात करेंगे। सबसे पहले गुजरात में इस प्रोजेक्ट को किया गया। इसके रिजल्ट आज आ गए होंगे, डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट घोषित हो गए होंगे। पायलट प्रोजेक्ट में मध्यप्रदेश और हरियाणा को लिया है।
आज से बैठक
एआईसीसी पर्यवेक्षक गुरदीप सिंह सप्पल आज रविवार से विधानसभावार बैठकें लेंगे और कांग्रेसियों से चर्चा करेंगे। इनमें से ही डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट के लिए नाम निकलकर आयेंगे। बरसों से ठंडी पड़ी कांग्रेस में अचानक गर्मी आ गई है। अंदरूनी राजनीति शुरू हो गई है। डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट बनकर पॉवर पैक होने की लालसा कांग्रेस नेताओं में जाग गई है। इसीलिए इच्छुक उम्मीदवार रात रात जागकर अपने लिए माहौल बना रहे हैं ताकि लिस्ट में उनका नाम शामिल हो जाए। कुछ लोगएआईसीसी पर्यवेक्षक से पर्सनल मिलकर अपना नाम दे रहे हैं लेकिन उनका साफ कहना है कि नाम की कांग्रेसियों वा कांग्रेस की विचारधारा रखने वाले संगठनों से ही आना चाहिए।