
राजीव उपाध्याय
कांग्रेस का “संगठन सृजन” वास्तविकता से परे कल्पना में ही बसर कर रहा है। कांग्रेस नेता वा सांसद राहुल गांधी ने सपना देखा कि संगठन को मजबूत बनाएंगे तभी कांग्रेस पुनर्जीवित हो सकेगी। सपना एक कल्पना होती है उसे जब हकीकत की जमीन मिलती है तभी वह अपने पैरों पर चल पाता है। कांग्रेस में बड़े नेताओं से लेकर विंग के पदाधिकारियों ने अपनी खुद के वर्चस्व की जमीन बना ली है, उसमें किसी अन्य की दखलंदाजी उन्हें बर्दाश्त नहीं। ऐसे में राहुल गांधी के सपनों को हकीकत में बदलने में जमीन मिल पाने में खुद कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संशय है क्योंकि वे अपने सीनियर्स को भलीभांति जानते हैं।
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संगठन कमजोर इसलिए “सृजन”
कांग्रेस का संगठन कमजोर है इसलिए नए सिरे से सृजन जरूरी हो गया है। राहुल गांधी ने प्लानिंग तो अच्छी की है, नियम भी कड़े बनाए हैं लेकिन इसके अंदर नियमों में रहने की कांग्रेसियों को आदत नहीं है। कांग्रेस में गुट आज भी बने हुए हैं। उन गुटों के नेताओं के आंख के इशारों पर कार्यकर्ता चलते हैं। एक कांग्रेस के अंदर ही कई कांग्रेस है। राहुल गांधी ने संगठन सृजन के लिए एआईसीसी वा पीसीसी पर्यवेक्षक नियुक किए। वे जिलों में जा रहे हैं लेकिन वहां भी कांग्रेस पदाधिकारी आपस में झगड़ रहे हैं।
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यह किस तरह का झगड़ा
भोपाल में कांग्रेस के संगठन सृजन कार्यक्रम में यह साफ देखने मिला कि राहुल गांधी की मेहनत की परवाह कांग्रेसियों को नहीं है उन्हें अपनी ही चलानी है। भोपाल में मध्य विधानसभा क्षेत्र में विधायक आरिफ मसूद और कांग्रेस नेता सैयद साजिद अली के समर्थकों के बीच तनातनी हो गई। दूसरा उदाहरण नरेला विधानसभा क्षेत्र का है वहां बैठक में कांग्रेस नेता मनोज शुक्ला और महेंद्र सिंह चौहान के समर्थक आपस में भिड़ गए। एक दूसरे पर कुर्सियां फेंकी, गालीगलौज की। यह मामले जिलाध्यक्ष बनने के हैं। जिसमें पर्यवेक्षक बैठकें ले रहे हैं और वहां सब अपने अपने खेमे को प्रमोट करने आपस में ही भिड़ रहे हैं।
सिद्धांत के विरुद्ध आचरण
राहुल गांधी ने जो रूपरेखा बनाई है उसके ठीक विपरीत कांग्रेसी आचरण कर रहे हैं। इससे निष्पक्ष जिलाध्यक्ष का नाम निकलना ही संदिग्ध बना हुआ है।
दिग्विजय सिंह ने किनारा किया
राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने साफ कह दिया कि वे किसी का नाम प्रपोज नहीं करेंगे लेकिन उन्होंने यह जरूर कहा है कि जो अन्य पार्टी से कांग्रेस में आए हैं उनके नाम पर अभी विचार न किया जाए। कुछ दिनों से राज्य सभा सांसद दिग्विजय सिंह कुछ अलग तरह का व्यवहार कर रहे हैं। वे कार्यक्रमों में मंच पर नहीं बैठते। वे कार्यकर्ताओं के साथ बैठते हैं। इससे वे नेता असहज हो जाते हैं जो उनसे जूनियर हैं और मंच पर बैठे हैं।
वरिष्ठों में अंदरूनी कलह
कांग्रेस में वरिष्ठों में अंदरूनी कलह बनी हुई है। इसका परिणाम लक्ष्मण सिंह का निष्कासन है। हालांकि अब वे नई कांग्रेस बनाने की बात कह रहे हैं।