
जबलपुर। निर्जला एकादशी हिंदू धर्म में सबसे शक्तिशाली दिनों में से एक है। निर्जला एकादशी पूरी तरह से भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है और इसे सबसे पवित्र दिनों में से एक माना जाता है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार, निर्जला एकादशी ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष के एकादशी तिथि को होती है। 6 जून 2025 को निर्जला एकादशी मनाई जाएगी। यह व्रत बिना जल-अन्न के किया जाता है।
विशेष नियमों का पालन करना चाहिए
ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ दुबे के अनुसार इस खास दिन पर पूजा-पाठ और दान के अलावा कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए। मान्यता है कि निर्जला एकादशी का व्रत रखने से साल की सभी 24 एकादशियों का फल प्राप्त होता है, जिससे भक्तों को सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत बिना जल और अन्न के किया जाता है, यही वजह है कि इसे साल का सबसे बड़ा एकादशी कहा जाता है। निर्जला एकादशी 6 जून को है। को रात 2 बजकर 15 मिनट पर आरंभ हो रही है। इसका समापन 7 जून को सुबह 4 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगा। ऐसे में यह व्रत 6 जून को ही रखा जाएगा।
निर्जला एकादशी पूजन मुहूर्त
निर्जला एकादशी पर पूजन का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:05 बजे से सुबह 04:47 बजे तक रहेगा। रवि योग सुबह 05 बजकर 20 मिनट से सुबह 06 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 58 मिनट से दोपहर 12 बजकर 42 मिनट तक रहेगा।