
उज्जैन। विक्रम उद्योगपुरी परियोजना से प्रभावित उज्जैन ज़िले के सात गांवों के किसानों ने जमीन अधिग्रहण के विरोध में अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। धरने में पुरुषों के साथ महिलाएं, बुज़ुर्ग और बच्चे भी शामिल हैं। किसानों ने इस अधिग्रहण को अन्यायपूर्ण और धोखाधड़ी बताते हुए ज्ञापन सौंपा है।
धरने में शामिल किसान नैनपुर, हासखेड़ी, कड़छा, नयाखेड़ी, बुंजाखेड़ी, गवाड़ी, माधोपुरी और पिपलौदा दयाकधीर गांवों से हैं। इनका आरोप है कि उनकी लगभग 5100 बीघा जमीन बिना उनकी सहमति के अधिग्रहित की गई है। पहले 2011 में 2500 बीघा और अब 2024 में फेज-2 के तहत 2600 बीघा जमीन ली जा रही है।
सरकारी दावों पर किसानों का खंडन
किसानों का आरोप है कि सरकार और संबंधित एजेंसियों ने तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर दिखाया है। सहमति के नाम पर जो दस्तावेज प्रस्तुत किए गए, वे गलत और झूठे हैं। किसानों ने ग्राम पंचायतों से लिखित में जमीन न देने की बात कही थी, लेकिन उनकी आपत्तियों को दरकिनार कर अधिग्रहण जारी रखा गया।
मुआवज़े को लेकर विरोध
किसानों का कहना है कि किसानों को मात्र 3.12 लाख रुपए प्रति बीघा मुआवजा दिया जा रहा है, जबकि क्षेत्र में जमीन की बाज़ार कीमत 80–90 लाख रुपए प्रति बीघा है। किसान इस राशि को अपने भविष्य और आने वाली पीढ़ियों के साथ अन्याय बता रहे हैं। उनका कहना है कि इस मुआवज़े में वे दोबारा जमीन खरीदने तक की स्थिति में नहीं है।
प्रशासन से कोई सुनवाई नहीं
किसानों का दावा है कि उन्होंने मुख्यमंत्री, राज्यपाल, प्रधानमंत्री, कृषि मंत्री, समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को ज्ञापन सौंपे, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई।
किसानों की मांग
अधिग्रहण की प्रक्रिया तत्काल रोकी जाए।
सभी गांवों की आपत्तियों की निष्पक्ष जांच हो।
मुआवजे की राशि को बाज़ार मूल्य के अनुसार संशोधित किया जाए।
किसानों के साथ हुई अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो।