महिलाएं इस दिन रखेंगी पति की लंबी उम्र और तरक्‍की के लिए निर्जला व्रत

26 को सोमवती, 27 मई को अमावस्या

जबलपुर। ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि पर वट सावित्री का पर्व मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र व तरक्की के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस बार वट सावित्री व्रत 27 मई को मनाया जाएगा। ज्येष्ठ मास की अमावस्या को यह व्रत रखा जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ दुबे ने बताया कि वट सावित्री के दिन इस बार सोमवती अमावस्या का शुभ संयोग भी बन रहा है। चूंकि अमावस्या तिथि सोमवार 26 मई को प्रातः 10:56 से प्रारंभ होगी इसलिए सोमवती अमावस्या रहेगी एवं इस दिन व्रत रखना और भी फलदायी रहेगा। मंगलवार 27 मई को अमावस्या तिथि प्रातः 8:33 तक रहेगी इस दिन वृष राशि का सूर्य एवं वृष राशि का चंद्रमा एक साथ आने से इस दिन वट सावित्री व्रत एवं शनि जयंती का पर्व मनाया जाएगा।
महिलाएं रखती हैं व्रत
ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ दुबे ने बताया कि हिन्दू धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व होता है। इस दिन विवाहित स्त्रियां अपने अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। कहते हैं कि इस दिन सावित्री यमराज से अपने पति के प्राण वापस लाई थी। ऐसी मान्यता है कि विवाहित स्त्रियां इस दिन वट वृक्ष की पूजा करती हैं, वट वृक्ष की लंबी उम्र होने के कारण इस वृक्ष की पूजा की जाती है, जिससे उनके पति की उम्र भी लंबी रहे।
सोमवती अमावस्या का संयोग
इस बार वट सावित्री व्रत के दिन सोमवती अमावस्या है, जिसमें स्नान और दान का बहुत फल मिलता है। यह आमवस्या स्नान- दान और श्राद्ध की अमावस्या कही जाती है। इसलिए यह तिथि न सिर्फ महिलाओं के लिए बल्कि पुरुषों के लिए भी खास है। इस व्रत में पूजा-पाठ, स्नान व दान आदि का अक्षय फल मिलता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके पितरों के नाम से तर्पण करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि इससे पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
वट सावित्री व्रत का महत्व
वट सावित्री व्रत करने से अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पति की लंबी आयु के साथ ही दांपत्य जीवन में प्रेम और मधुरता बढ़ता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यमराज ने माता सावित्री के पति सत्यवान के प्राणों को वट वृक्ष के नीचे ही लौटाया था और उन्हें 100 पुत्रों का वरदान दिया था। कहते हैं कि उसी समय से वट सावित्री व्रत और वट वृक्ष की पूजा की परंपरा की शुरुआत हुई। धार्मिक मान्यता है कि वट सावित्री व्रत के दिन दिन बरगद पेड़ की पूजा करने से यमराज देवता के साथ त्रिदेवों की भी कृपा प्राप्त होती है।
वट सावित्री व्रत नियम
– वट सावित्री व्रत के दिन काला, नीला और सफेद रंग के कपड़े न पहनें और न ही इन रंगों के श्रृंगार का इस्तेमाल करें।
– वट सावित्री के दिन सुहाग का शुभ रंग लाल साड़ी ही पहनें और सोलह श्रृंगार करें।
– वट सावित्री व्रत के दिन वट वृक्ष की पूजा और व्रत कथा जरूर सुनें।
– वट सावित्री व्रत के दिन पूजा के बाद सावित्री माता और यम देवता से अपने सुहाग की लंबी आयु की कामना करें।

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