शनि जयंती विशेष: इस दिन शनिदेव बेहद प्रसन्‍न और आशीर्वाद की मुद्रा में होते हैं

शनि जयंती ज्‍येष्‍ठ मास की अमावस्‍या तिथि को मनाई जाएगी। मान्‍यता के अनुसार, इस तिथि पर शनिदेव का जन्‍म हुआ था, इसलिए पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार ज्‍येष्‍ठ मास की अमावस्‍या को शनि जयंती मनाई जाती है। इस साल शनि जयंती 27 मई को मनाई जाएगी। शास्‍त्रों में बताया गया है कि इस दिन शनिदेव बेहद प्रसन्‍न और आशीर्वाद की मुद्रा में होते हैं, इसलिए इस दिन विधि विधान से पूजा करने से शनिदेव की कृपा आपको प्राप्‍त होती है। आइए जानते हैं शनि जयंती की पूजाविधि, शुभ मुहूर्त और शनि से जुड़े खास उपाय।
इस दिन शनि महाराज की विधि विधान से पूजा की जाती है और उनको प्रसन्‍न करने के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं। शनि जयंती पर जरूरतमंद लोगों को दान पुण्‍य करने का खास महत्‍व शास्‍त्रों में बताया गया है। न्याय के देवता और कर्मफल दाता शनिदेव की पूजा करने से आपको शनि की अशुभ दशा में राहत मिलती है और आप अपने जीवन में उन्‍नति करते हैं। आइए आपको बताते हैं शनि जयंती की तिथि कब से कब तक, साथ ही जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजाविधि और इस दिन से जुड़े खास उपाय।
शनि जयंती की तिथि कब से कब तक
शनि जयंती इस साल 27 मई को मनाई जाएगी और इसी दिन वट सावित्री व्रत भी रखा जाएगा। ज्येष्ठ मास की अमावस्या 26 मई को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगी और यह 27 मई को सुबह 8 बजकर 31 बजे खत्म होगी। उदया तिथि के अनुसार शनि जयंती 27 मई को मनाई जाएगी। शनि जयंती के दिन ही सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए वट सावित्री व्रत भी करती हैं।
शनि जयंती पर कौन से शुभ योग बने हैं
इस साल शनि जयंती बहुत खास है। पंडित चंद्रशेखर शर्मा ने बताया की वैदिक पंचांग के अनुसार, इस दिन कृतिका और रोहिणी नक्षत्र के साथ सुकर्मा योग बन रहा है। शनि जयंती पर शनिदेव की पूजा करने से साढ़ेसाती और शनि की पीड़ा से छुटकारा मिलता है। मान्‍यता है कि इस खास योग में शनिदेव की पूजा करने से आपको बहुत ही शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
शनि जयंती की पूजाविधि
– शनिदेव की पूजा में कुछ खास चीजों का प्रयोग होता है। काले कपड़े पहने जाते हैं। तेल से बने पकवान बनाए जाते हैं। शनि जयंती के दिन, नहाने से पहले सरसों के तेल से शरीर की मालिश करें। फिर साफ पानी से नहा लें।
– इसके बाद एक लकड़ी की चौकी लें। उस पर काला कपड़ा बिछाएं। शनिदेव की मूर्ति, तस्वीर या सुपारी रखें। सुपारी को शनिदेव का प्रतीक माना जाता है। फिर सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
– शनिदेव को पंचामृत और इत्र से स्नान कराएं। इसके बाद गुलाल, सिंदूर और काजल लगाएं। फिर फूल और फल चढ़ाएं। तेल में बने पकवान या इमरती का भोग लगाएं।
– पूजा के बाद शनि स्त्रोत और बीज मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।

शनि जयंती के खास उपाय
– इस दिन काले तिल, काले चने, काले वस्त्र और सरसों का तेल दान करना अच्छा होता है। ऐसा करने से शनि देव खुश होते हैं। इससे जीवन की परेशानियां भी दूर होती हैं।
– शनि जयंती के दिन पीपल के पेड़ में शनि देव का वास होता है। इसलिए इस दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने से शनिदेव जल्द खुश होते हैं।
– शनिदेव के बारे में ऐसा कहा जाता है कि शनि को प्रसन्‍न करना है तो हनुमानजी की पूजा करें। शनि जयंती पर हनुमानजी की पूजा करने से शनि से जुड़े सभी दोष दूर होते हैं और आपको लाभ होता है।
– शनि जयंती के दिन द्वार पर आए किसी गरीब जरूरतमंद व्‍यक्ति को खाली हाथ न जाने दें। ऐसा करने से शनिदेव नाराज हो जाते हैं।
दान-पुण्य:
जरूरतमंदों को काले कपड़े, लोहा, तेल और भोजन देने से समृद्धि आती है।
व्रत-उपवास: कई भक्त शनिदेव को प्रसन्न करने और ग्रहों के बुरे प्रभावों को कम करने के लिए शनि व्रत रखते हैं।
दीपक जलाना: इस दिन पीपल के पेड़ के नीचे तिल के तेल का दीपक जलाने से ईश्वरीय कृपा मिलती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव को आक का फूल चढ़ाने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव कम होता है। शनि जयंती के मौके पर अगर यह उपाय करें तो इसका और भी अच्छा परिणाम हासिल होता है। आक के फूल अर्पित करने से शनि देव अति प्रसन्न होते हैं और जातक की किस्मत का ताला खोल सकते हैं।
यह चार प्रकार के फूल शनि देव को प्रिय
शनिदेव को गुड़हल का फूल अति प्रिय है। जिसे चढ़ाने से शनि दोष दूर होता है। शनि जयंती या किसी भी शनिवार को अगर गुड़हल का फूल शनिदेव को अर्पित करें तो इसके बहुत अच्छे परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
अपराजिता का फूल शनिदेव को अति प्रिय है। यह नीले रंग का फूल शनिदेव को तो अर्पित किया जाता है। साथ ही भगवान शिव को भी यह फूल चढ़ाने की परंपरा है। शनि जयंती पर अगर कोई जातक 5, 7, 11 अपराजिता के फूल शनिदेव के चरणों में अर्पित करता है तो शनिदेव प्रसन्न होकर साढ़ेसाती और पनौती के प्रभाव को कम कर देते हैं।
शनि जयंती के मौके पर शनि देव को शमी के फूल चढ़ाना अति शुभ माना गया है। शनि महाराज की विधि विधान से पूजा करें और पूजा के समय ही शमी के पत्ते, शमी के फूल व शमी के जड़ अर्पित करें। शमी के फल चढ़ाने से भी शनि देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और साढ़ेसाती का प्रभाव कम होता है. दुख दूर होते हैं और धन की आवक बढ़ती है।

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