नैनो डीएपी स्वदेशी है, इसलिए दे रहे बढ़ावा, डीएपी खाद की कमी से किसान परेशान

जबलपुर। डीएपी खाद की कमी से किसान परेशान हैं। पिछले दिनों जबलपुर-दमोह मार्ग में डीएपी नहीं मिलने से नाराज होकर किसानों ने सड़क जाम कर दिया। किसान दो डीएपी के साथ नैनो डीएपी की अनिवार्यता के खिलाफ थे जिसके बाद अब कृषि विभाग ने पांच बोरी डीएपी के साथ एक नैनो को अनिवार्य किया है। फिलहाल 1100 मीट्रिक टन डीएपी जिले को मिला है। विभाग का मानना है कि डीएपी की मांग अधिक है और उसकी सप्लाई फिलहाल उस हिसाब से नहीं है।

स्वदेशी को बढ़ावा

कृषि विभाग ने बताया कि नैनो डीएपी स्प्रे बाटल स्वदेशी है जिस वजह से प्रधानमंत्री का उद्देश्य है कि स्वदेशी वस्तु का उपयाेग अधिक किया जाए। बाकी डीएपी विदेशी है और स्वदेश का पैसा स्वदेश में रहे इस वजह से इसे बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ सेंटर से शिकायत आ रही थी कि निजी डीलर्स डीएपी ले रहे हैं। इस वजह से किसान को डीएपी देने के लिए आधार कार्ड जैसी जरूरी दस्तावेज मांगे जा रहे हैं। इधर सिकमी (ठेका) में लेने वाला कस्तकार जमीन से संबंधित कागजों के अभाव में खाद के लिए तरस रहा है। ऐसे किसानों को मंहगे दाम में प्राइवेट डीलर्स से ही खाद लेने की मजबूरी है।

जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान, टाल रहे

गोदामों में यूरिया खाद है, लेकिन डीएपी की भारी किल्लत है। 30-35 दिन के बाद एकाएक यूरिया का संकट किसानों के सामने फिर खड़ा हो जाएगा, उस समय सरकारी गोदामों में पर्याप्त मात्रा में डीएपी खाद मिलने लगेगी। वहीं प्रायवेट दुकानों से किसान जितनी मात्रा में चाहे खाद ले सकते हैं। इसके लिए उन्हें अधिक राशि देनी पड़ेगी।
उप संचालक कृषि एसके निगम ने कहा कि डीएपी की प्रति बोरी 1350 रुपये की है वहीं नैनो डीएपी 600 रुपये की बाटल दी जा रही है।

फोटो: IFFCO

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