अंतरराष्ट्रीय योग दिवस: बच्चों की छठी इंद्रिय को जाग्रत कर रहा है Art of Living का इंट्यूशन प्रोग्राम

जबलपुर। जहां दुनिया 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रही है, वहीं Art of Living की एक अनोखी पहल बच्चों की आंतरिक क्षमता और मानसिक शक्ति को एक नई दिशा दे रही है। इस संस्था का विशेष कार्यक्रम- इंट्यूशन प्रोसेस प्रोग्राम बच्चों की ‘छठी इंद्रिय’ यानी अंतर्ज्ञान को सक्रिय करने के लिए दुनिया भर में सराहना प्राप्त कर रहा है।

क्या है इंट्यूशन प्रोसेस प्रोग्राम
आर्ट ऑफ लिंविग के नवीन बरसैंया ने बताया कि Art of Living द्वारा तैयार यह 17 दिवसीय विशेष कोर्स 5 से 18 वर्ष के बच्चों के लिए है। कार्यक्रम के दौरान बच्चे गहन ध्यान, खेल और विशेष श्वास तकनीकों के माध्यम से एक ऐसी स्थिति में पहुंचते हैं जहां वे आंखें बंद करके भी रंग, अक्षर, संख्याएं और वस्तुएं पहचानने की क्षमता विकसित करते हैं।

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यह कोई चमत्कार नहीं, बल्कि प्रत्येक बच्चे में मौजूद एक स्वाभाविक क्षमता है जिसे सही प्रशिक्षण के माध्यम से जाग्रत किया जा सकता है, जिससे उनकी रचनात्‍मकता और बौ‍द्धिक क्षमता का विकास होता है। आत्‍मविश्‍वास में बढ़ोत्‍तरी होती है।

मुख्य विशेषताएं

गहरी ध्यान तकनीकें और मजेदार गतिविधियां

मानसिक एकाग्रता और सहज निर्णय क्षमता का विकास

आंख बंद कर भी पहचानने की इंद्रिय (Blindfold Reading)

खेल और प्राणायाम के जरिए तनाव मुक्ति व रचनात्मक सोच का विकास

आत्मविश्वास और भावनात्मक स्थिरता में सुधार

कई देशों में लोकप्रिय
इंट्यूशन प्रोसेस प्रोग्राम केवल भारत में ही नहीं, बल्कि रूस, अमेरिका, जापान, इंडोनेशिया और यूरोप के कई देशों में संचालित हो रहा है। हज़ारों बच्चों ने इस कार्यक्रम से लाभ उठाया है। कई माता-पिता बताते हैं कि बच्चों की पढ़ाई, व्यवहार और आत्मविश्वास में जबरदस्त परिवर्तन देखा गया है। दमोह के हटा निवासी आशुतोष ने बताया कि करीब तीन साल पहले उन्‍होंने अपने बच्‍चे को इस प्रोग्राम में शामिल किया था। बेटे अथर्व में गजब का परिवर्तन आया है।

1981 में रखी नींव

21 जून को पूरी दुनिया अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रही है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक भारतीय संस्था दशकों से इस अभियान को जमीनी रूप से आगे बढ़ा रही है? हम बात कर रहे हैं Art of Living की, जिसकी नींव श्री श्री रविशंकर ने वर्ष 1981 में रखी थी। आज यह संस्था योग, ध्यान और सामाजिक सेवा का वैश्विक पर्याय बन चुकी है।

शुरुआत और उद्देश्य
Art of Living की स्थापना का उद्देश्य था- एक ऐसा समाज बनाना जो तनावमुक्त, हिंसामुक्त और मानव मूल्यों से भरपूर हो। श्री श्री रविशंकर का मानना है कि व्यक्ति की श्वास, मन और ऊर्जा में संतुलन स्थापित कर जीवन को आनंदपूर्ण और उपयोगी बनाया जा सकता है।

सुदर्शन क्रिया: श्‍वास की तकनीक

आर्ट ऑफ लिविंग के आशीष पटेल के अनुसार Art of Living का सबसे प्रसिद्ध कार्यक्रम है- हैप्पीनेस प्रोग्राम, जिसमें श्वास की तकनीक सुदर्शन क्रिया सिखाई जाती है। यह वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित तकनीक तनाव, अवसाद और उच्च रक्तचाप को कम करने में सहायक मानी गई है। इसके अलावा संस्था युवा, बच्चों, महिलाओं, कैदियों, सेना और कॉर्पोरेट कर्मियों के लिए अलग-अलग पाठ्यक्रम संचालित करती है।

जुड़ने के लाभ
Art of Living से जुड़ने वाले लोग बताते हैं कि इससे उन्हें मानसिक शांति, सकारात्मक दृष्टिकोण, आत्मविश्वास और सामाजिक सहभागिता का नया अनुभव मिला। युवाओं में नेतृत्व क्षमता और संवाद कौशल में भी बढ़ोतरी देखी गई है।

सेंट्रल जेल में योगाभ्‍यास

आर्ट ऑफ लिंविग के नवीन बरसैंया ने बताया कि योग दिवस के उपलक्ष्‍य में शनिवार को आर्ट ऑफ़ लिविंग के प्रशिक्षकों द्वारा सेंट्रल जेल जबलपुर मैं सभी कैदियों को योग अभ्यास कराया जाएगा। इसके साथ ही सभी जेल स्टाफ़ भी योग अभ्यास करेंगे। प्रशिक्षक अरुणा सरीन, ब्रह्मानंद पाण्डेय, शरद बडगैया, वसुंधरा शुक्ला, मयूर जैन मौजूद रहेंगे।

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