
रवीन्द्र सुहाने
इंदौर के व्यवसायी राजा रघुवंशी और सोनम रघुवंशी की पहले गुमशुदगी और फिर राजा की लाश मिलने के बाद मेघालय टूरिज्म पर तरह-तरह के सवाल उठाए जाने लगे थे। कई तरह की अफवाह फैलाई जाने लगी थी, जिससे मेघालय ट्रिप की सोच रहे लोगों के मन में आशंकाएं पनपने लगी थीं।
कोई इसे पर्यटकों के साथ लूटपाट करने वाली लुटेरी गैंग से जोड़ रहा था, तो कोई मानव तस्करी से। खासकर मानव तस्करी पर राजा की लाश मिलने के बाद तो और भी बल दिया जाने लगा, लेकिन जब मेघालय पुलिस इस मामले की तह तक पहुंची तो मेघालय की शांंत वादियों पर चल रही अफवाहों पर विराम लग गया। मेघालय पुलिस ने मामले में जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया है अभी तक उनका मेघालय ने कोई कनेक्शन नहीं निकला है। ऐसे में उन लोगों को राहत मिल गई, जो मेघालय जाने से डर रहे थे।
मेघालय के लोगों ने भी इस खुलासे के बाद राहत की सांस ली है क्योंकि पर्यटन का यहां की अर्थव्यवस्था में खासा योगदान है। यहां पर्यटन से व्यापार और रोजगार सृजन होता है। पर्यटन क्षेत्र मेघालय की जीडीपी में एक महत्वपूर्ण योगदान देता है। अनुमान है कि यह क्षेत्र राज्य के जीडीपी का लगभग 4.1% हिस्सा है।
आओ जाने बादलों के घर को
भारत के पूर्वोत्तर में स्थित मेघालय एक ऐसा राज्य है जहां की वादियां, झरने, गुफाएं और जनजातीय संस्कृति हर यात्री को एक नई दुनिया का अनुभव कराती हैं। खासी, गारो और जयंतिया पहाड़ियों से घिरा यह राज्य ‘बादलों का घर’ कहलाता है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता, शुद्ध हवा और जनजातीय परंपराएं इसे एक आदर्श पर्यटन स्थल बनाती हैं।
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प्राकृतिक सौंदर्य की अनूठी मिसाल

हरियाली से ढंकी पहाड़ियां, नीले आकाश में तैरते बादल, और झरनों की मधुर ध्वनि- मेघालय आने वाला हर यात्री यही कहता है कि यह सिर्फ यात्रा नहीं, आत्मिक अनुभव है। यहां की जलवायु पूरे वर्ष सुहानी रहती है, जिससे यह हर मौसम में घूमने योग्य बना रहता है।
प्रमुख पर्यटन स्थल
1. शिलांग
राज्य की राजधानी शिलांग को ‘पूर्व का स्कॉटलैंड’ कहा जाता है। यहां का वार्ड्स लेक, उमियम झील, शिलांग पीक और पोलो ग्राउंड, सेंटर प्वाइंट बेहद लोकप्रिय हैं। शिलांग का बाजार भी रंग-बिरंगा और लोककलाओं से भरपूर है।
2. चेरापूंजी (सोहरा)
विश्व में सर्वाधिक वर्षा वाले स्थानों में शामिल चेरापूंजी में नोहकलिकाई वॉटरफॉल, मावस्माई गुफाएं और लीविंग रूट ब्रिज देखने योग्य हैं।
3. मावलिननोंग
एशिया का सबसे साफ गांव, जो पर्यावरण संरक्षण का जीवंत उदाहरण है। यहां के बांस से बने पुल और सौर ऊर्जा आधारित जीवनशैली पर्यटकों को खूब लुभाती है।
4. दावकी नदी
यह नदी अपनी पारदर्शिता के लिए जानी जाती है। नाव जब पानी पर तैरती है तो ऐसा लगता है जैसे वह हवा में लटक रही हो। यह स्थान भारत-बांग्लादेश सीमा के समीप है।
5. लीविंग रूट ब्रिज
जीवित पेड़ों की जड़ों से बनाए गए यह प्राकृतिक पुल तकनीक और परंपरा का अनूठा उदाहरण हैं। ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए यह अनुभव अविस्मरणीय होता है।
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सांस्कृतिक विविधता
मेघालय की जनजातियां- खासी, गारो और जयंतिया – अपने लोक नृत्य, संगीत, हस्तशिल्प और मातृसत्तात्मक समाज व्यवस्था के लिए प्रसिद्ध हैं। यहां की फसल उत्सव, पारंपरिक पोशाकें और हस्तनिर्मित उत्पाद स्थानीय संस्कृति की गहराई को दर्शाते हैं।

पर्यटकों के लिए जरूरी सावधानियां
1. स्थानीय गाइड का उपयोग करें
ट्रैकिंग, गुफा भ्रमण या नदी के पास जाने से पहले प्रामाणिक गाइड की मदद लें। मेघालय टूरिज़्म द्वारा पंजीकृत गाइड सबसे सुरक्षित विकल्प हैं।
2. मौसम का पूर्वानुमान देखें
चेरापूंजी और मावस्यमराम जैसे इलाकों में अचानक भारी बारिश आम बात है। यात्रा से पहले मौसम की जानकारी जरूर लें।
3. नेटवर्क और सुविधा सीमित हो सकती है
दूरस्थ क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट सीमित हो सकता है। महत्वपूर्ण सूचनाएं पहले से डाउनलोड कर लें।
4. प्राकृतिक स्थलों पर सावधानी
झरनों और गुफाओं में फिसलन हो सकती है, इसलिए अच्छी ग्रिप वाले जूते पहनें और चिह्नित रास्तों से ही चलें।
5. स्थानीय संस्कृति का सम्मान करें
किसी भी गांव में प्रवेश से पहले स्थानीय रीति-रिवाजों की जानकारी लें। फोटो खींचने से पहले अनुमति लेना शिष्टाचार माना जाता है
भारत के पूर्वोत्तर में स्थित सात राज्य- अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा — को ‘सात बहनें’ कहा जाता है क्योंकि ये भौगोलिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। इनका आपसी सहयोग और सामूहिक पहचान ही इन्हें यह विशेष नाम देता है।
फोटो: अभिषेक गुप्ता