
जबलपुर। रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी के एक तकनीकी कर्मचारी ने दावा किया है कि जिस दिन यूनिवर्सिटी में बैठक थी उस दिन कुलगुरु कार्यालय में लगे सीसीटीव्ही कैमरे पूरी तरह से क्रियाशील थे यानि चालू थे। यह लिखित जवाब कर्मचारी ने कुलसचिव रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय को हाई कोर्ट से जारी नोटिस के विरूद्व सौंपा है। मालूम हो कि जिस दिन बैठक थी उसी दिन एक महिला ने कुलगुरु पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
एमबीए विभाग में पदस्थ तृतीय श्रेणी कर्मचारी विभु पांडे ने लिखित पत्र में बताया कि वह तकनीकी कर्मचारी नहीं है। लेकिन पूर्व कुलगुरु प्रो.कपिल देव मिश्रा के आग्रह पर वह सीसीटीवी संधारण का कार्य करता रहा है। 28 नवंबर 2024 तक उसने यह कार्य किया है। उसके अनुसार जिस दिन को लेकर जानकारी मांगी गई है उस दिन समस्त कैमरे क्रियाशील थे। इस बीच कार्य के दौरान जो भी रिर्काडिंग कुलगुरु द्वारा चाही गई थी सभी जानकारी और रिर्कार्डिंग उपलब्ध करवाई गई। कभी कुलगुरु कार्यालय के कैमरों में कोई व्यवधान आया भी तो उसकी उच्च अधिकारियों को मौखिक जानकारी दी गई। 28 नवंबर 2024 को निजी कारण से कर्मचारी ने यह पद सम्हालने में असमर्थता जाहिर करते हुए पद छोड़ा।
ये था मामला-
घटना 21 नवबंर 2024 की है। इस दिन कुलगुरू प्रोफेसर राजेश वर्मा ने एक बैठक बुलाई थी। जिसमें एक महिला अधिकारी भी थी। महिला ने अगले दिन यह आरोप लगाते हुए सबको चौंका दिया था कि उसे बैठक के दौरान कुलगुरू ने अभद्र इशारे किए और अशोभनीय टिप्पणी की। कुलगुरू पर लगाए गए आरोपों की शिकायत 22 नवबर 2024 को महिला अधिकारी ने राज्य महिला आयोग, उच्च शिक्षा विभाग, आरडीयू कुलसचिव व राजभवन को भेजते हुए जांच की मांग उठाई थी। वहीं नवंबर माह में ही हुए उक्त घटनाक्रम को लेकर महिला अधिकारी ने एक आवेदन कुलसचिव आरडीयू को देते हुए कुलगुरू कक्ष के 21 नवंबर के सीसीटीवी फुटेज मुहैया कराए जाने की मांग की थी। लेकिन महिला अधिकारी को सीसीटीवी फुटेज नहीं दिए गए। जिसके बाद महिला अधिकारी ने एमपी हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए सीसीटीवी फुटेज मुहैया कराए जाने व जांच कराए जाने की मांग रखी थी।