
जबलपुर। प्रैक्टिसिंग इंजीनियर्स एसोसिएशन द्वारा 22 मई 1997 जबलपुर भूकंप की स्मृति के अवसर पर जन जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार में मुख्य अतिथि डॉ शिवकांत बाजपेई अधीक्षण पुरातत्ववेत्ता भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण जबलपुर एवं विशिष्ट अतिथि के एल डाभी उप संचालक अभिलेखागार और संग्रहालय जबलपुर, सुहेल अहमद निदेशक जी एस आई और विनायक शंकर मोदी सीनियर जियोलॉजिस्ट जीएसआई जबलपुर रहे।
सेमिनार में डॉ शिवकांत वाजपेई ने 2001 गुजरात में आए भूकंप में अहमदाबाद, मोरवी और भुज के पुरातात्विक और ऐतिहासिक स्मारकों में हुए नुकसान का विवरण प्रस्तुत किया और उन्होंने आशा व्यक्त की, कि स्थानीय चौसठ योगिनी, मदन महल किला जैसे राष्ट्रीय स्मारकों को भूकंप जैसी आपदा से सुरक्षित रखना अति आवश्यक होना चाहिए ।
के एल डाभी ने 1997 जबलपुर भूकंप में जबलपुर के स्मारकों और ऐतिहासिक भवनों में हुए नुकसान की जानकारी प्रस्तुत की। सुहेल अहमद ने जबलपुर की भूगर्भीय स्थिति का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया और जबलपुर में आए भूकंप के कारणों और भविष्य में आने की संभावना पर विस्तार से जानकारी प्रस्तुत की।
विनायक शंकर मोदी ने जबलपुर की जियोलॉजी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत की । उन्होंने नर्मदा नॉर्थ फॉल्ट और नर्मदा साउथ फाल्ट को जबलपुर में भूकंप आने का कारण बताया । कार्यक्रम के द्वितीय चरण में भूकंप जागरूकता, भूकंप क्या क्यों कैसे और भूकंप से सुरक्षित निर्माण विषयक एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम में पी ई ए अध्यक्ष इंजी मनीष दुबे ने भूकंप से सुरक्षित निर्माण हेतु महत्वपूर्ण सावधानियों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
संस्था सचिव इंजी संजय वर्मा ने भूकंप की तकनीकी जानकारी के साथ-साथ भूकंप से सुरक्षित निर्माण हेतु भारतीय मानकों यथा: आई एस 456, 1893, 4326,13828, 13920 आदि के प्रयोग, निर्माण पूर्व मृदा परीक्षण एवं कार्य गुणवत्ता की सलाह दी, इसके साथ भूकंप में क्षतिग्रस्त भवनों के सुधार पर भी जानकारी प्रस्तुत की । सेमिनार में संस्था के पदाधिकारी इंजी दिनेश दवे, संजीव जैन, दिनेश कोष्ठा, प्रदीप जायसवाल सहित 50 से अधिक इंजीनियर और आम नागरिक उपस्थित रहे । कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट प्रदान किए गए ।